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पर्यावरण पच्चीसी – दोहावली

पर्यावरण पच्चीसी – दोहावली मिट्टी पादप जल हवा, पर्यावरणी नाम। जीवन रक्षक को सदा, करता अमित प्रणाम।~1 स्वच्छ हवा बहती रहे, जब तक चारों ओर। मीत लगे पर्यावरण, नाचे मन का मोर।~2 देता है पर्यावरण, अपनी बाँहें खोल। संरक्षण करते रहें, है यह अति अनमोल।~3 कुदरत है पर्यावरण, सदा कीजिये [...]

पृथ्वीराज जयंती में विचार गोष्ठी एवं मैट्रिक टॉपर को किया गया सम्मानित औरंगाबाद 2/6/24 जिला मुख्यालय औरंगाबाद में पृथ्वीराज चौहान स्मृति स्थल के प्रांगण में पृथ्वीराज चौहान जी की जयंती समारोह धूमधाम से मनाई गई।अध्यक्षता ट्रस्ट के अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप नारायण सिंह ने किया।जबकि संचालन उपाध्यक्ष डॉ संजीव रंजन द्वारा [...]

पयविरण और प्रकृति

पयविरण और प्रकृति जब जब मानव ने विकास के नाम पर, स्वार्थ अपनाया है प्रकृति और पर्यावरण का तिरस्कार हमने पाया है चाहें पेड़ कटे या पर्वत नदियों से रेत निकालते हैं अनवरत चाहें जले खेतों का हो या कल कारखानों का हो धुआं प्रदूषण फैलता है होती है जहरीली [...]

पर्यटक धार्मिक ऐतिहासिक स्थान पर हमारी जवाब देही

( चिंतन मनन ) पर्यटक धार्मिक ऐतिहासिक स्थान पर हमारी जवाब देही सभी पर्यटक स्थलों पर स्पष्ट निर्देशित किया जाता है गंदगी फैलाना अपराध है एवं उसके लिए जुर्माना भी लिखा होता है परंतु लोग लुका छुपी करके वहां गंदगी करके ही आते हैंl चिंतन का विषय है जब हम [...]

लघु कथा- “हरियाली और हम”

लघु कथा- “हरियाली और हम” “नम्रता! चलो आज सुदूर पठारों पर आच्छादित वनस्पतियों की ओर।शहर के शोर और तनावपूर्ण दिनचर्या से मन ऊब गया है।दो दिनों की छुट्टी मिली है।शहर में रहने और जीने की विवशता से हम कहां उबर पाते हैं।” सुधीर के सुझाव से नम्रता सहमत होते हुए [...]

पर्यावरण

पर्यावरण मनुष्य, प्राणी, पक्षी रो रहे हैं… कारण… धरती अस्वच्छ है… पेड़ों की संख्या घट गई है… हवा, पाणी प्रदूषित है… बड़े बड़े पेड़ काट दिए जा रहे हैं… पक्की इमारतें बांधी जा रही हैं… जिस वजह से बारिश का प्रमाण कम हो गया है… वाहनों की संख्या ज्यादा हो [...]

बहुत हो गया सूरज दादा…..

बहुत हो गया सूरज दादा….. “बहुत हो गया सूरज दादा। क्रोध नहीं दिखलाओ ज्यादा। अति तेज है किरण तुम्हारी। झुलस रहे हैं नर अरु नारी। “गर्मी अधिक पड़ रही भारी। दानव सी है अत्याचारी। कूलर, एसी,पंखे हारे। हवा छुपी है डर के मारे। “हाल बेहाल होता सारा। ये संसार ताप [...]

प्रकृति भी रो रही है

‘प्रकृति भी रो रही है’ पर्यावरण की इस दूषित हवा में, देखो कैसे ये प्रकृति रो रही है? देखो फैक्ट्रियों से निकलते धुँएँ से, कैसे प्रकृति ये प्रताड़ित हो रही है? अब मानव में मानवता रही नहीं, ये देखकर प्रकृति अब रो रही है। इस प्रकृति के दुश्मन हैं हम [...]

वृक्ष

वृक्ष ये वहीं वृक्ष हैं जो हमें प्राण वायु देते हैं। ये वहीं लता हैं जो हमें सत आयु देते हैं।। वृक्ष से ही मैं तुम और हम सबका जीवन। वृक्ष से ही जीव जंतु पशु खग पंख पवन।। पर वृक्षों का नाश क्यों कर रहा हूँ। अपने पंखों को [...]

पर्यावरण दिवस (5 जून)

पर्यावरण दिवस (5 जून) मस्तिष्क में चढ़ा लापरवाही का,ऐसा देखो आवरण। दोषी हैं हम प्रदूषित करते, अपना ही पर्यावरण।। पेड़-पौधे जीवन में रखते,अपना महत्व विशेष। जीने का मूलमंत्र सिखा कर, देते हमें उपदेश।। स्वयं न खाकर हमको देते, फल-फूल के उपहार। जीवन में कभी चुका न सकते,हम इनका उपकार।। जिंदगी [...]