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गांव कहीं अब न सपना बने

गांव कहीं अब न सपना बने गांव अपना कहीं अब न सपना बने, घर बना लो सभी अपने ही गांव में। शहरों में कमाई बहुत हो चुकी, उम्र के इस पड़ाव पर चलो गांव में। थे बचपन की बातों में सपने बहुत, गांव छोड़ा था उनके लिए आपने। थक गए [...]

मां वीणा पाणी कविता

‘मां वीणा पाणी’ हे पद्मासना वीणावादनी ज्ञान बुद्धि प्रदायिनी मार्ग मेरा करिए प्रशस्त शीश पे धरिए वरद हस्त सुरों में अमृत घोलिए ज्ञान चक्षु खोलिए कंठ में विराजिये लेखनी निखारिए शब्द ज्ञान दीजिए अज्ञानता हर लीजिए अनवरत लेखन चले नित्य नव ज्ञान मिले नव चेतना जगाइये नित नव सृजन कराइये [...]

पर्यावरण विदोहन

पर्यावरण विदोहन रोप लो पौध को, सुख मिलेगा सदा, खिल उठेगी जमीं, दुख कटेगा सदा। आप ही आप में, सोच लेना जरा, सांस की आश में, वन खिलेगा सदा।। अपने जीवन के आधार वृक्ष हैं अपनी सांसों के आकार वृक्ष हैं। वृक्ष है तो है जीवन की है हर खुशि, [...]

पर्यावरण गीत

पर्यावरण गीत आओ कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाएं हम। पर्यावरण सुरक्षित रखने, बीड़ा आज उठाएं हम। अंधाधुध खनन पृथ्वी का, करने से परहेज रखें। जल जंगल अपनी जमीन को, मिलकर सभी सहेज रखे। पेड़ लगाकर इस धरती पर, हरित क्रांति अब लाएं हम। पशु पक्षी वन जीव [...]

कहानी तुम

कहानी तुम सुमन शर्मा, नई दिल्ली मुझे अपलक निहारती तुम्हारी आंखों की आत्मीयता मेरे जीवन की स्नेहमयी धरोहर थी । ऐसा भी बहुत बार हुआ था जब मैं खुद को तुम्हारी आंखों से बचाने की कोशिश करती थी और तुम मुझे लगातार देखते थे और मैं उस वक्त बड़ी हड़बड़ा [...]

गजल गीतिका

गजल गीतिका खेल जीवन का निराला। पी रहा हूँ विष का प्याला। सब गिराना चाहते थे। मैंने खुद को था सम्हाला। हमसे नफ़रत जो थे करते। दिल से उनको अब निकाला। काँटे जो चुभने लगे थे। उनको भी राहों से टाला। लोग जो नफ़रत से बाँटे। खा रहा हूँ वो [...]

सती

सती ब्रम्हा जी ने दक्ष को बनाया जब प्रजापति बोले प्रजापति से ब्रम्हा समय को दो गति परम शक्ति जगदम्बे की कर नित आराधना पुत्री रुप मां जन्म लो प्रकट कर निज कामना दक्ष ने आदिशक्ति माता का घोर तप किया महा गौरी ने दक्ष को मनवांछित वर दिया माता [...]

लघु कथा- ” मजबूर इंसान “

लघु कथा- ” मजबूर इंसान “ ” अरे ओ रामधन, कहां हो? चलना नहीं है क्या? फसल सूखने पर क्षतिपूर्ति के लिए ब्लाक में फारम भरने जल्दी चलो नहीं तो फारम खत्म हो जाएगा। तो फिर बाजार से ब्लैक में खरीदना पड़ेगा। सुन नहीं रहे हो क्या?” मंगनी महतो ने [...]

बीता कल

बीता कल चलो मिलें इक बीते कल से भरे भरे कुछ रीते पल से अरे आज मेरी बारी है माँ संग आज मै सोऊंगी चादर मोटी मोटी लगती धोती का पल्लू ओढूंगी बहनों बहनों की लड़ाई था बचपना दूर थी छल से चलो मिलें इक बीते कल से भरे भरे [...]

पेड़ों का दर्द

पेड़ों का दर्द प्रकृति का अनूपम अमूल्य भेंट है पेड़। ईश्वर का शुध्द जल  आचमन है पेड़। पेड़ काट दोगे तो सांसे कहाॅं से लाओगे। जाप पूजा अर्चना जीवन की सृष्टि है पेड़। पेड़ो को काट- काट,  चले जाते है लोग। दर्द तो देते है, दवा भी नही करते है [...]