युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाना होगा हम सभी की जिम्मेदारी
युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाना होगा हम सभी की जिम्मेदारी
हर व्यक्ति का समाज, परिवार, मित्रों, दोस्तों व अपने काम के प्रति कुछ न कुछ दायित्व होता है। इसे निभाने के लिए हमें गंभीर भी होना चाहिए। हमें अपने दायित्व को निभाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाना, उसे अच्छे-बुरे की समझ करवाकर भी हम अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं। आज की युवा आधुनिकता के रंग में अपने संस्कारों, नैतिकता और बड़ो का आदर करना भूल रही है। हमारा दायित्व है कि युवा पीढ़ी को सही मार्ग दिखाएं, ताकि आने वाला कल अच्छा हो। जहां पर बच्चा गलत करता है उसे टोकना चाहिए। एक शिक्षक की तरह युवा पीढ़ी को सभ्य एवं संस्कृति संस्कार शिक्षित बनाना होगा। बच्चों में नैतिक मूल्यों को भी भरें और संस्कारों को लेकर उनके साथ रोजाना बातचीत की जाए। रोजाना अगर संस्कार की बात होगी तो बच्चे स्वयं ही नैतिक मूल्य व संस्कारों के प्रति सजग रहेंगे जिससे हमारा दायित्व भी पूरा हो जाएगा। अच्छे संस्कार होंगे तो अच्छे व बुरे में फर्क का भी पता लग सकेगा। मन की असीम शक्ति और सामर्थ्य को पहचान कर व्यक्ति न केवल विचारवान हो सकता है, बल्कि अच्छे इंसान में भी परिवर्तित हो सकता है।
अंधेरे की ओर बढ़ती इस पीढ़ी को संवेदनशील बनाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को यह दायित्व निभाना होगा कि वह नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाए। यही हम सबके जीवन का दायित्व होना चाहिए। समाज में रह रहे सभी लोगों को समय-समय पर दायित्वों के प्रति प्रेरित करते रहना चाहिए।
कुछ प्राणी ऐसे हो सकते हैं जिनको दायित्वों से कुछ लेना-देना नहीं है। अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाना ही हम सभी का दायित्व है। युवाओं के अंदर के अवगुणों को निकाल कर अच्छे गुणों को भरा जाए। नैतिकता, शिष्टाचार, अच्छे विचार, आदर, विनम्रता व सहनशीलता की शिक्षा देनी चाहिए ताकि वह समझ सकें कि बड़ों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। प्रकृति ने मनुष्य को एक अलग ही सोचने व समझने की शक्ति प्रदान की है। अगर हम संस्कारों व नैतिकता को छोड़ संस्कारविहीन होने लग जाएं तो मनुष्य व पशु में क्या अंतर रह जाएगा। हमारा यह दायित्व बनता है कि भटके हुए को अच्छे आचरण व स्नेह तथा दयालुता से उन्हें अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।
अगर मानव में इंसानियत और संस्कार तथा समाज के प्रति दायित्व नहीं होगा तो उसका जीवन लाचार व बेकार है। इंसानियत से ही मानव इंसान बन सकता है। हम सभी को मिलकर बच्चों में संस्कारों का समावेश करना चाहिए। जीवन प्रकृति का दिया हुआ अनुपम उपहार है। प्रकृति ने हर किसी को अनेक दायित्वों के साथ भेजा है, लेकिन मनुष्य अपना जीवन यूं ही व्यर्थ के कार्यो में गंवा देता है। यह कोई समझने की कोशिश ही नहीं करता कि हम पटेलिया आदिवासी समाज व देश के प्रति हमारा दायित्व क्या बनता है।
आज मानव केंद्रित बन गया है। हमारा जीवन, हमारी सोच और हमारे समितियों के दायित्व हमारे अपनों तक ही सीमित हो गए हैं। दूसरों के लिए समाज के लिए सोचने का समय किसी के पास नहीं है। अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए जीना भी हमारा दायित्व है। समाज में फैली संकीर्ण विचारधाराओं और तंग मानसिकता को बदलने का हमें प्रयत्न करना चाहिए।
समाज को आधुनिक बनाना मेरा दायित्व ।हम अपने जीवन में एक सफल व जिम्मेदार नागरिक बनना चाहते हैं। समाज व देश के प्रति अपने दायित्वों को निभाते हुए अपने समाज को आधुनिक बनाना चाहते है।। हम चाहते है, कि समाज का हर व्यक्ति पढ़ा-लिखा और समझदार हो।
बीएल भूरा समाज व नशामुक्ति जागरूकता भाबरा अलीराजपुर