साहित्यकार पी.यादव ‘ओज’ की एक और उपलब्धि
साहित्यकार पी.यादव ‘ओज’ की एक और उपलब्धि
(भारत सरकार,गृह मंत्रालय,राजभाषा विभाग ने इनकी दो पुस्तकें नयंश और अंतर्नाद को सरकारी पुस्तकालयों,संस्थानों,उपक्रमों,विभागों राष्ट्रीय धरोहर हेतु सूची में चयनित किया)
जबलपुर – कवि और लेखक श्री पी. यादव ‘ओज’ जी द्वारा लिखित काव्य संग्रह अंतर्नाद और नयंश को भारतीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने संरक्षित कर लिया है।जिससे भविष्य में भारत सरकार के सभी सरकारी पुस्तकालयों और UPSC एवं STATE PCS के पाठ्यक्रमों में इनकी पुस्तकों की शामिल करने की संभावनाएं बढ़ गई है।यह सम्मान और मान्यता श्री पी. यादव ‘ओज’ जी के साहित्यिक योगदान का एक स्पष्ट प्रमाण है।इस सम्मान से इनकी रचनाएँ न केवल सरकारी पुस्तकालयों में शोध और अध्ययन के लिए उपलब्ध होंगी, बल्कि ये देशभर के छात्रों,प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले उम्मीदवारों और साहित्य प्रेमियों के लिए भी एक अमूल्य धरोहर बन जाएंगी।’अंतर्नाद’ और ‘नयंश’ के माध्यम से श्री पी. यादव ‘ओज’ जी ने समाज की गहरी और जटिल परतों को अपनी कविता के जरिए उजागर किया है। इनकी रचनाओं में जीवन,संघर्ष,और आत्म-निरीक्षण के गहरे पहलू हैं,जो पाठकों को न केवल सोचने पर मजबूर करते हैं,बल्कि उन्हें प्रेरणा भी प्रदान करते हैं।इन काव्य संग्रहों को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की संभानाओं से यह साबित होता है कि उनकी कविता न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राष्ट्रीय और सामाजिक संदर्भों में भी महत्वपूर्ण मानी गई है।अब श्री पी. यादव ‘ओज’ जी का नया काव्य संग्रह ‘नव परिमल’ जल्द ही इंकलाब पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित होने जा रहा है,जो उनकी साहित्यिक-यात्रा का एक और मील का पत्थर होगा।इस संग्रह में उनकी कविता की नई धारा और विचारों का एक अद्वितीय समावेश होने की उम्मीद है।’नव परिमल’ का प्रकाशन साहित्य जगत में एक नई उम्मीद और प्रेरणा का संचार करेगा,जिससे न केवल पुराने पाठक बल्कि नए पाठक वर्ग भी जुड़ेंगे।यह उल्लेखनीय कार्य इंकलाब पब्लिकेशन द्वारा किया जा रहा है।
श्री पी. यादव ‘ओज’ जी के काव्य संग्रहों की यह सफलता न केवल उनकी काव्यात्मक क्षमता का प्रमाण है,बल्कि यह उनके गहरे विचार,सामाजिक दृष्टिकोण और साहित्य के प्रति उनके समर्पण का भी परिचायक है।इनकी कविता हमेशा पाठकों को एक नई दृष्टि प्रदान करती है और समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करती है। यह सुखद खबर न केवल साहित्य जगत के लिए महत्वपूर्ण है,बल्कि यह उन सभी छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले उम्मीदवारों के लिए भी एक सौभाग्य का क्षण है,जो श्री पी. यादव ‘ओज’ जी की रचनाओं के माध्यम से अपनी सोच और दृष्टिकोण को विस्तारित करने का अवसर प्राप्त करेंगे।श्री पी. यादव ‘ओज’ जी की आगामी काव्य रचनाएँ भारतीय साहित्य की समृद्ध धारा में और भी मूल्यवर्धन करेंगी।इनकी रचनाओं के माध्यम से वे समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम हैं और उनका साहित्यिक योगदान भारतीय काव्य परंपरा में हमेशा के लिए एक अमिट छाप छोड़ने वाला है। इस उपलब्धि पर कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बधाई दी है।