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बहुत हो गया सूरज दादा…..

बहुत हो गया सूरज दादा…..

“बहुत हो गया सूरज दादा।
क्रोध नहीं दिखलाओ ज्यादा।
अति तेज है किरण तुम्हारी।
झुलस रहे हैं नर अरु नारी।

“गर्मी अधिक पड़ रही भारी।
दानव सी है अत्याचारी।
कूलर, एसी,पंखे हारे।
हवा छुपी है डर के मारे।

“हाल बेहाल होता सारा।
ये संसार ताप का मारा।
कारे कारे मेघा आओ।
बरखा की बूंदे बरसाओ।

“पेड़ अधिक से अधिक लगाना।
पर्यावरण सुरक्षित बनाना।”
सूरज दादा को समझाओ।
छम छम करती बारिश लाओ”।

“रिमझिम रिमझिम बरसे पानी।
सुखसागर में डूबे प्राणी।
पंछी भी आकुलता त्यागें।
भोर मुस्काती हुई जागे।”

नवनीता दुबे नूपुर
मंडला,म.प्र.

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