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सुनीता शेखावात (राष्ट्रगीत) को दिया गया राजस्थान साहित्य रत्न सम्मान।

सुनीता शेखावात (राष्ट्रगीत) को दिया गया राजस्थान साहित्य रत्न सम्मान। राजपूत साहित्य अकादमी व राजपूत सर्वोत्तम सहयोग संस्थान भारत द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन व प्रतिभा सम्मान समारोह ,वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप पुरस्कार समारोह है ,दहेज विरोधी क्षत्रिय सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें राजस्थान के अनेक राजपूत अन्य साहित्यकारों [...]

धर्म

धर्म धर्म की सार्वभौमिक परिभाषा है, धारयते इति धर्मः,जिसे धारण किया जाय, वह धर्म। यह धर्म शब्द मूलरूप से “धृ” धातु से लिया गया है और उसका “म” से संयोजन करके कह दिया, धर्म। “धृ” का मुख्य अर्थ है, धारण करना। मूलरूप से जीवनी अस्तित्व का आधार धर्म है। ऐसे [...]

अहंकार

अहंकार अहंकार का विलय जगत में जीवन का आधार है हार जीत के फेरों में ना पड़ो इस दुनिया के झमेलों में अहंकार विचारों की टकराहट है इसलिए हर शख्स में घबराहट है टकराहट तो अनादि से व्याप्त है इसी झंझावात से इतिहास है जीवन पर्यंत इस हार को जीत [...]

पवन झकोरे

पवन झकोरे पवन झकोरे घूँघट चूमे, अंग-अंग पुलकित हो जाए। सौंधी गंध लिए आ जाओ, जीवन ये सुरभित हो जाए।। नैन तुम्हारे मधुशाला से , प्रेम सुधा ये छलकाते हैं। कामदेव सी सूरत मनहर, बाँकी चितवन ये भाते हैं । आलिंगन में भर लो मुझको, मन मेरा हर्षित हो जाए [...]

ग़ज़ल

ग़ज़ल मरने वाले को पता है ज़िंदगी क्या चीज़ है साथ सबका छूटने की बेहिसी क्या चीज़ है// रात अँधेरी अगर हो पूछिए फिर चाँद से साथ होकर भी दिखे ना चाँदनी क्या चीज़ है// प्यार सच्चा जो करें वो जिस्म को छूते नहीं जानते हैं रूह की पाक़ीज़गी क्या [...]

गीत

गीत युगों युगों सारी दुनियाँ जिसको गाये गीत प्रेम के मैं ऐसे लिख जाऊँगा साँझ ढले तुम देखोगे आकाश में उन तारों के बीच कहीं दिख जाऊँगा मैं सूरज का वंशज हूँ किरणें बिखराता रहता हूँ सबके मन की सुनता हूँ और अपनें मन की सुनाता हूँ प्यार के दो [...]

त्रिकुटा रानी ! आई पाप मिटाने

त्रिकुटा रानी ! आई पाप मिटाने जय हो, जय हो, तेरी त्रिकुटा रानी, है तू ही हम सबकी माँ जोताॅंवाली। रानी समृद्धि व राजा रत्नागर सागर की, तू ही पुत्री, है नाम तेरा माँ वैष्णवी। जग-कल्याण करने हेतु तू ही बनी, हे माता वैष्णवी से हमारी वैष्णोदेवी। पापी को नहीं [...]

हे राम तुम्हें आना होगा

हे राम तुम्हें आना होगा कलियुग में राह दिखाने को दशरथ संताप मिटाने को मर्यादा, वचन निभाने को सीता की लाज बचाने को हे राम तुम्हें आना होगा! हे राम तुम्हें आना होगा! मंथरा है पनपी घर-घर में कैकई ने घर- घर वास किया ये रक्तबीज से हैं रावण बढ़ते [...]

अधूरी अभिज्ञा

अधूरी अभिज्ञा नियमत: प्रातः टहलन के दरम्यान देखा- रास्ते में एक दिन बच्चों की लम्बी कतारें पीठ पर ढोते वजनदार बैग कुहरते-हांफते रेंगते-लंगराते ज्ञानार्जन की नव पद्धति देख तरस आयी मुझको बेदर्द दुस्साहस मन से पूछा- मैंने एक प्रश्न? उत्तर बिल्कुल ही अनर्गल बालमन के विलोम ! स्मरण आया- अभिमन्यु [...]

बेटियां

बेटियां खुद जलकर भी जग को रोशन कर जाती हैं बेटियां, संसार में कैसे जिए, कभी गर्भ में, सती प्रथा, तो कभी दहेज की आग में जल जाती हैं बेटियां । कुल के दीपक होते हैं बेटे, उस दीपक में रोशनी बनकर उजाला कर जाती है बेटियां। परिवार को आस [...]