भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जी और मदन मोहन मालवीय जी का राष्ट्रीय चिंतन
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जी और मदन मोहन मालवीय जी का राष्ट्रीय चिंतन
डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज, कवि एवं साहित्यकार, एटा उत्तर प्रदेश/9412388238
अटल बिहारी वाजपेई जी का राष्ट्रीय चिंतन
अटल बिहारी वाजपेई जी भारत के महान राजनेता, विचारक, और कवि थे। उनका राष्ट्रीय चिंतन भारतीय संस्कृति, लोकतंत्र, और राष्ट्रीय एकता पर आधारित था।
1. भारतीय संस्कृति और सभ्यता: वाजपेई जी का मानना था कि भारतीय संस्कृति में सहिष्णुता और विविधता में एकता की भावना है। वे भारतीय मूल्यों को आधुनिक विकास के साथ जोड़ने के पक्षधर थे।
2. राष्ट्रवाद: उनका राष्ट्रवाद समावेशी था, जो किसी जाति, धर्म, या वर्ग के खिलाफ नहीं था। वे देश की संप्रभुता और आत्मनिर्भरता के प्रबल समर्थक थे।
3. लोकतंत्र: वाजपेई जी ने लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करने में अपना योगदान दिया। वे स्वतंत्रता, समानता, और न्याय को लोकतंत्र की आधारशिला मानते थे।
4. आर्थिक दृष्टिकोण: उन्होंने स्वदेशी और आर्थिक उदारीकरण में संतुलन बनाए रखने की वकालत की। उनका मानना था कि भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना राष्ट्रीय पुनर्जागरण का हिस्सा है।
मदन मोहन मालवीय जी का राष्ट्रीय चिंतन
मदन मोहन मालवीय जी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, और समाज सुधारक थे। उनका राष्ट्रीय चिंतन मुख्य रूप से शिक्षा, सामाजिक सुधार, और भारतीय संस्कृति पर केंद्रित था।
1. शिक्षा का महत्व: मालवीय जी ने शिक्षा को राष्ट्रनिर्माण का महत्वपूर्ण साधन माना। उन्होंने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो आज भी उनकी दूरदर्शिता का प्रतीक है।
2. स्वराज्य और आत्मनिर्भरता: मालवीय जी ने भारतीयों के लिए स्वराज्य की वकालत की। उनका मानना था कि राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ आत्मनिर्भरता भी जरूरी है।
3. सामाजिक समरसता: वे जाति प्रथा और छुआछूत के विरोधी थे। उन्होंने सभी वर्गों के लिए समान अधिकारों की वकालत की।
4. भारतीय संस्कृति और धर्म: मालवीय जी ने भारतीय संस्कृति और धर्म को राष्ट्रीय चेतना का आधार माना। वे भारत को एक नैतिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त राष्ट्र के रूप में देखते थे।
दोनों महान विभूतियों के राष्ट्रीय चिंतन में भारत की एकता, अखंडता और प्रगति का सपना निहित था। वाजपेई जी ने आधुनिक भारत के विकास में अपनी भूमिका निभाई, जबकि मालवीय जी ने स्वतंत्रता संग्राम और शैक्षिक सुधारों के माध्यम से भारत के भविष्य का निर्माण किया। दोनों स्तुत्य महापुरुषों को नमन!!