दिल फिर क्यूँ आज बहकने को बेताब है
दिल फिर क्यूँ आज बहकने को बेताब है दिल फिर क्यूँ आज बहकने को बेताब है क्या फिर नूर-ए-कशिश पर दिखा आफताब है बड़े ही जतन से सम्भाला कम्बख्त ये दिल था क्यूँ आज फिर उम्मीद के ज़ानिब से नासाज़ है दिल फिर क्यूँ आज बहकने को बेताब है उनसे [...]