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एक पत्र हिंदी के नाम

एक पत्र हिंदी के नाम

मेरी प्यारी हिन्दी,
अंग्रेजी – उर्दू में सजकर,
तू आधुनिक हो गई,
सोचती हूं आज मैं,
पहचान तेरी क्या खो दी !
बचपन की वो कहानियाँ,
किताबों की वो दुनिया,
बूझते थे जो पहेलियां,
मुहावरे वो सुहावने,
सब कहां लुप्त हो गई !
आज बच्चे नहीं गुनगुनाते,
तेरी मधुर कविताएं,
आज कहानी में सार नहीं,
‘ मोरल ‘ ढूंढ़ते है सारे,
अभिभावक अब ‘ राइम ‘ है सिखलाते !
जैसे है मां छिपाए,
रोटी में सारी सब्जियां,
नया रूप लेकर तुम भी,
नए युग का हो मन भरमाए !
आज भी नहीं अछूती ,
किसी न किसी रूप में,
चाहे हो टूटी फूटी बोली,
छोटे बच्चे के समान,
सारी भाषाओं के बीच अव्वल ही आए !

दीपिका मनवानी
गोधरा – गुजरात

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