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गीत

गीत

प्रफुल्ल ज्ञानरूपिणी, प्रवीण मातु शारदे।
विधायिनी सुवादिनी, सरस्वती उबार दे।।

निरंजना प्रभामयी, महाश्रया सुवासिनी।
सुपूजितां महाभुजा, मनोरमा सुभाषिनी।।
करें प्रणाम श्रीप्रदा, प्रबुद्ध भारती सदा।
उतारते प्रियंवदा, सुजान आरती सदा।।
सुबोध माँ प्रशासनी, सुभक्ति माँ अपार दे।

अकूत शास्त्ररूपिणी, करो कृपा महाफला।
अनंत प्रेम दायिनी, सुहासिनी महाबला।।
नमो दयालु शारदे, स्वयंप्रभा दिवाकरी।
प्रशस्त मातु पंथ भी,सुखारिणी सु-अंबरी।।
पयोधि ज्ञान दायिनी, नमामि माँ निखार दे।।

कहे सुता पुकारके ,सुमातु शत्रु नाशिनी।
उजास दो सुलोचनी, दयामयी सुभाषिनी।।
उपासना करें सदा, वलक्ष वस्त्र धारिणी।
विनीत भक्त तार दो,विषाद कष्ट हारिणी।।
विभूति मुक्ति वाहिनी ,सुमंगला सँवार दे।

मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

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