समझौता (लेख)
समझौता (लेख) मंजू की लेखनी आज ऐसा कटु सत्य आप सभी के समक्ष रखना चाहती है जो हर समाज में नजर आता है | विचार कीजिएगा …….. आप सभी ने समझौता (Compromise) शब्द तो सुना होगा और कभी न कभी जिंदगी में समझौता किया भी होगा | फिर भी जब [...]
समझौता (लेख) मंजू की लेखनी आज ऐसा कटु सत्य आप सभी के समक्ष रखना चाहती है जो हर समाज में नजर आता है | विचार कीजिएगा …….. आप सभी ने समझौता (Compromise) शब्द तो सुना होगा और कभी न कभी जिंदगी में समझौता किया भी होगा | फिर भी जब [...]
ग़ज़ल हमनशीं हमनवा दिलदार हुआ करते थे इश्क़ के वो भी तलबगार हुआ करते थे लूट लेते थे वो पल भर में ही सारी महफ़िल शेर ग़ज़लों के असरदार हुआ करते थे चंद सिक्को में ये अख़बार भी बिक जाते अब जो कभी सच के तरफ़दार हुआ करते थे सबको [...]
एक नेक काम देश के नाम भारत की प्रथम महिला जिन्होंने अपने कॉलेज लाइफ से ही प्लास्टिक के विरोध में काम किया और इसके लिए आज भी वे लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं मंडला से छोटे गांव मैं रहकर अनेक संस्थाओं से मिलकर कपड़े की थैली [...]
हिंदी हिंदी माथे की बिंदी है जो है सबके जवान की। भाषाओं को अपनाने की पूरी मन में ठान ली ।। मंदिर में हम कैसे पूजे चोरी होती राम की हिन्दी माथे की विंदी हैं जो है सबके जुवान की।। हिन्दू है हम भारतवासी हिंदी लिखकर गाते हैं जग में [...]
मध्यप्रदेश सरकार के बजट से उद्योग और व्यापार में उत्साह नहीं: कैट कैट प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र जैन ने बताया कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व में उप-मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवडा ने विधान सभा में प्रदेश का पूर्ण बजट पेश किया, 365067 करोड के बजट में ऐसा उल्लेख कहीं [...]
बाँस की बाँसुरी में संगीत स्वर भरता प्यार की कोई रूपरेखा नहीं होती है, वह तो प्रायः नैसर्गिक ही हो जाता है, कभी धरती पर इंसान से हो जाता है, व इंसान का भगवान से हो जाता है। जब किसी की अनुभूति स्वयं से भी अधिक अच्छी लगे तो वो [...]
कवि गोष्ठी सम्पन्न जबलपुर – कविश्रेष्ठ विजय विश्वकर्मा के जन्मदिवस के अवसर पर उनके निवास कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया ၊ मुख्य अतिथि निरंजन द्विवेदी वत्स, अध्यक्षता शायर रघुवीर अम्बर की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ, गोष्ठी में वरिष्ठ कवि जयप्रकाश श्रीवास्तव, सुधीर पाण्डे, मदन श्रीवास्तव, विवेक शैलार, विजय [...]
मनभावन धरती की चूनर धानी लगती है मीठी-मीठी कोयल की कूक सुहानी लगती है अति मनभावन धरती की चूनर धानी लगती है हरे- भरे वृक्ष बाग- बगीचों की शोभा होते हैं जिनकी छाया के नीचे बड़े चैन से सोते हैं फूलों से लदी डाली बड़ी लुभावनी लगती है अति मनभावन [...]
मेरे हमसफर ए मेरे हमसफर देखती हूं जिधर आते हो तुम नजर । कभी दिल की धड़कन बनकर सांसों की डोर से जुड़ जाते हो। कभी आंखों में चुपके से आकर ज्योति बनकर चमकते हो । कभी होठों की मुस्कान बनकर चेहरे का नूर बढ़ाते हो । कभी सूरज की [...]
बंजरीली कहांँ रही ये मिट्टी’ ‘औराही-हिंगना’ गाँव की मिट्टी से, ये सौंधी-सौंधी महक आ रही है। अब बंजरीली कहांँ रही ये मिट्टी? हिंदी साहित्य के इस शिखर पर , रचनाओं के अनगिनत पेड़ लगे हैं। अब बंजरीली कहांँ रही ये मिट्टी? देखो! मेरी क़लम की तेज निकौनी से, ये प्रकृति [...]