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मेरे हमसफर

मेरे हमसफर

ए मेरे हमसफर देखती हूं जिधर आते हो तुम नजर ।
कभी दिल की धड़कन बनकर सांसों की डोर से जुड़ जाते हो।
कभी आंखों में चुपके से आकर ज्योति बनकर चमकते हो ।
कभी होठों की मुस्कान बनकर चेहरे का नूर बढ़ाते हो ।
कभी सूरज की किरण बनकर आशा का दीप जलाते हो ।
कभी शाम की चादर ओढ़ कर सुरमई रंग में मदहोश करते हो।
कभी हवा का झोंका बनकर मुझको मुझसे चुराते हो ।
कभी दीवाना बादल बनकर प्यार की बूंदों से रुह भिगोते हो।
कभी गजल के अल्फाज बनकर दिल में उतर जाते हो।
कभी जिंदगी का साज बन कर दिल की आवाज बन जाते हो ।
कभी तस्वीर से उतरकर हाथों की लकीरों में बस जाते हो ।
कभी जीवन की डोर थाम कर कायनात मेरे कदमों में बिछाते हो ।
कभी पूजा का कलावा बनकर मेरी कलाई से लिपट जाते हो ।
कभी ईश्वर का वरदान बनकर मेरी तकदीर से जुड़ जाते हो।

लता सेन इंदौर मध्य प्रदेश

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