ऋतुपति
ऋतुपति अनुरक्त हुए ऋतुपति को मैं, पीने को हाला देती हूँ। कंचनवर्णी इस यौवन को, मधुरस का प्याला देती हूँ।। मधुरिम अधरों पर रसासिक्त, आँखें सुंदर भी हैं नीली। यौवन मद में मखमली बदन, स्वर्णिम आभा नथ चमकीली, प्रेयसी प्राणदा प्रियतम को, प्यारी मधुशाला देती हूँ। कंचनवर्णी इस यौवन को, [...]