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बरसात

बरसात अनंत उमंग, अंनत उम्मीद, अंनत आशाएं और अनगिनत खुशियों की लेकर सौगात, लेकर नील गगन से मदमस्त सुंगध महकती, चहकती और बहकती फिर आई बरसात । रिमझिम फुहार से हर हृदय हर्षित ,खिल उठे प्रेमी मन में मधुर मिलन के अगणित ज़ज्बात , वन,बाग़, तड़ाग, उपवन, उजड़े दयार में [...]

मील का पत्थर हूं मैं

मील का पत्थर हूं मैं मील का पत्थर हूँ मैं मील का पत्थर हूँ भटके हुए राही को राह दिखाता हूँ थके हारे का उत्साह बढ़ाता हूँ निराश की आस हूँ हार की जीत हूँ यद्पि मैं पाषण हूँ फिर भी जीवंत हूँ भगवान भुवन भास्कर की भांति जिनका गति [...]

ऐ मेरे मन स्मरण कर, मनन भी कर

ऐ मेरे मन स्मरण कर, मनन भी कर मौत शब्द सबको डराने वाला होता है, जिसे सुनकर हर जीव काँप जाता है, पर सत्य यह है कि जीतेजी जो कष्ट, मिलता है, मृत्यु के बाद भूल जाता है। प्राय: रिश्तों व परिवार के बारे में भी, कुछ ऐसे ही भ्रम [...]

सामाजिक चेतना

सामाजिक चेतना अंध-भक्त बिल्कुल बेकार, रामरहीम या हरि साकार। धर्म की नहीं इन्हें दरकार, चला रहे अपना कारोबार।। डर,भ्रम से औ चमत्कार, सच्चाई का ना आधार। सबको नशा लगा है यार, दिखते आस्था में बीमार।। रोकें धर्म का गलत प्रचार, आस्था से न हो कोई खिलबाड़। डोंगी बाबाओं की भरमार, [...]

शक्ति दायिनी, ममतामई मां कामाख्या का महिमा अपरम्पार है।

शक्ति दायिनी, ममतामई मां कामाख्या का महिमा अपरम्पार है, जो भी मां को नतमस्तक होता, समझो उसका होना कल्याण है,– इंद्रजीत तिवारी निर्भीक,नव नगद ना तेरह उधार चाहिए,आपका मुझे तो बस प्यार चाहिए, ऐसे वैसे चलोगे तो डुब जाओगे, मंजिल पाने को संस्कार चाहिए — सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध सहित अनेकों [...]

भोली-भाली माताएं

भोली-भाली माताएं फिर हाथरस लहू – लुहान हुआ इन बाबाओ के झंडे में, भोली-भाली माताएं फिर भेंट चढ़ गई भीड़ में।। इतने साल बीते आजादी के फिर भी देश नहीं आजाद हुआ, कितना आसान रह गया है अभी तक जनता को भरमाने में।। कहीं नेताओं ने भरमाया इन भोली-भाली माताओं [...]

आ जाओ मनभावन सावन बसुंधरा के सोलह श्रृंगार

आ जाओ मनभावन सावन बसुंधरा के सोलह श्रृंगार आ जाओ मनभावन सावन, बसुंधरा के सोलह श्रृंगार । रूठें बादल अब बरस रहे, पड़ने लगी रिमझिम फुहार, जड़ चेतन सब प्यासें, प्यासी प्रियतमा कर रही पुकार , मुंडेर पर कागा बोलते, झुरमुट से कोयल गाती मल्हार , घर,आंगन, उपवन और निर्जन [...]

स्वाभिमान

स्वाभिमान इस देश के सम्मान पर जब आँच आने लगे, तिरंगे को लोग जब मिट्टी में मिलाने लगे, तब देश में अखंडता का विश्वास जमाना पड़ता है। भारत माँ की रक्षा में हथियार उठाना पड़ता है।। भारत की सीमाओं पर बेटों ने पहरा रख्खा है, हिन्दुस्तान की माटी से रिश्ता [...]

अपने पसीने से धरती को स्वर्ग से सुंदर बनाता है किसान

विधा – गद्य अपने पसीने से धरती को स्वर्ग से सुंदर बनाता है किसान ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन से लेकर अंग्रेजों के सात समंदर पार जाने तक इस देश के किसानों ने इस देश में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध होने वाले प्रत्येक आन्दोलन में बढ चढकर हिस्सा लिया। जब [...]

‘’देवनागरी हिंदी”

‘’देवनागरी हिंदी” देश का गौरव गान है जो भारतीयता की पहचान है जो, मांँ की लोरी सी हिंदी प्यार भरी थपकी सी हिंदी। बच्चा बोले जो प्रथमाक्षर मीठा सा शब्द हिंदी में ‘मांँ’ हिंदी जो ,सत्तर प्रतिशत गांँवों की,अमराइयों की महक सी, खिला जाती है घर -अंगना, लोकगीतों का गुँजन, [...]