ऐसी तुम मशाल बनो
ऐसी तुम मशाल बनो दुश्मनों का काल बनो, दोस्तों की ढ़ाल बनो । दूर हों अंधेरे जग के, ऐसी तुम मशाल बनो ।। आंधियां उठें जहां, कदम नहीं रुकें वहां । मुड़के देखना नहीं है, तुम पहुंच गए कहां ।। यूँ नदी की चाल बनो, स्वर के साथ ताल बनो [...]
ऐसी तुम मशाल बनो दुश्मनों का काल बनो, दोस्तों की ढ़ाल बनो । दूर हों अंधेरे जग के, ऐसी तुम मशाल बनो ।। आंधियां उठें जहां, कदम नहीं रुकें वहां । मुड़के देखना नहीं है, तुम पहुंच गए कहां ।। यूँ नदी की चाल बनो, स्वर के साथ ताल बनो [...]
कविता हे प्रभु आप आओ मेरे द्वार, निर्मल प्रेम ज्योति जला रखा दरबार| दया का हाथ रखना करना भव से पार, दुनिया के सजीव अंशो के आप हो रखवार|| सारी सृष्टि आपकी मुट्ठी में हकदार, हिला सकते हो पल भर में सारा संसार| मिट्टी के पुतले आप हो प्रभु के [...]
सीता कहे दर्द बड़ी दर्द भरी मेरी कहानी। अँखियो में ला दे सबकी पानी।। जिनके लिए धरा पर थी आई। उन्हीं के द्वारा गई सताई।। वन को गई थी मैं प्रभु जी संग। रंग कर प्रभु की प्रीति-भक्ति रंग।। सृष्टि हितार्थ अग्नि में समाई। मेरी छाया मेरा पद पाई।। दुष्ट [...]
देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता/ हिन्दी भाषा का इतिहास “देवनागरी लिपि का कोई जवाब नहीं यह लिपि जितनी मधुर है उतनी ही सरल और सहज” भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत की लिपि को देवनागरी लिपि कहा जाता है। लिपि का प्रयोग वैदिक युग के पूर्व से ही होता आ रहा है। [...]
कीमती सूट (लघुकथा) ओमशंकर अपनी बेटी गौरी को सूट दिलाने के लिए रेडीमेड गारमेन्ट्स की एक बड़ी दुकान पर आया था। गौरी उसकी इकलौती बेटी थी। वह कक्षा ग्यारह में पढ़ती थी। ओमशंकर की ससुराल में एक शादी थी जिसमें उसे सपरिवार शामिल होना था। इसलिए ओमशंकर चाहता था कि [...]
गीत इस दिन के ही लिए तुम्हे क्या पाला पोसा बेटा जी। मम्मी पापा को वृद्धा आश्रम में डाला बेटा जी।। गीले बिस्तर पर सोकर तुमको छाती पर रखती थी। प्यारा नन्हा मुन्ना कह तुमको पुचकारा करती थी।। अपने खाती नही मगर तुमको मैं खाना देती थी। सारा दुख ओ [...]
दोहा अंबानी अभिमान में, धर्म कर्म गया भूल। सत्य सनातन धर्म पर ,फेंक रहा है, धूल । आता समय, विपरीत जब, देता मति भ्रमाय। तन तन कर, होता,पतन, ये सद्ग्रंथ बताय। कंश और लंकेश सम,इसको भी अभिमान। ईश्वर के, विपरीत का,जग में नहीं स्थान। गीत देखो ऐसे धन के,धिगानें, लक्ष्मी [...]
ग़ज़ल चमकती धूप में अपने,बदन को हम जलाते हैं। बड़ी मुश्किल से इस मिट्टी को हम सोना बनाते हैं।। लुटा कर जान उल्फत में,मिली थी यार रुसवाई, ज़रा सी बात में अपने,हमी से रूठ जाते हैं ।। फसल उगती नहीं ऐसे,बुआई में पसीने की, कई बूंदे मिलाकर हम,इसे गुलशन बनाते [...]
श्री मार्कण्डेय पुराण की अमर कथा भव के तारक जगत के ताप हरे!!!! ऋद्धि-समृद्धि-सिद्धि से जन को तरे उल्लसित-पुलकित हर जगत बिहरे! श्री मार्कंडेय पुराण की अमर कथा भव के तारक जगत के ताप हरे—— जब-जब देवों के मंडल में आफत पड़े! असुरन के जे वाता मगन विचरे!! जब-जब धर्म [...]
मेरे प्यारे चांदमामा मामा मामा चाँद मामा चाँदनी तेरी फलकनामा बहुत सुंदर दिखता मामा धरती से दूर रहते हो मामा बच्चों का दुलारा मामा चाँद गोपाल ! सागर मंथन में पैदा हुए हैं। चाँद-लक्ष्मी भाई बहन हैं । माता लक्ष्मी सबकी माता है। इसलिए यह सब का मामा हैं । [...]