(व्यंग्य) हाय! जुलाई
(व्यंग्य) हाय! जुलाई जुलाई, यह कैसी सौगात लाई । विद्यार्थी, माता-पिता की, अब शामत आई ।। लाद दिया बोझा, कापी-किताबों का । हुआ चकनाचूर, महल उनके ख़्वाबों का ।। स्कूल खुलने का, तुमसे गहरा नाता है । गरीबी में आटा, गीला हुआ जाता है ।। करूँ कैसे स्वागत, ना पड़ता [...]