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चले आना तुम

चले आना तुम

हसरत में रौनकें महफ़िल सजाई है,
महकती बहारों से खुश्बुयें चुराईं है।
स्वप्निल आँखों में ख्बाब समाया है,
प्रेम पयोधि ज्वार दिल पे छाया है।
बेकरारी दिल की कहती ये सनम है,
चलें आना तुम,ना रोकना कदम है..

दूरियाँ हुई क्यूँ,ये तुम भी जानते हो,
शिकवे गिले खूब,तुम पहचानते हो।
रोका नहीं आने दिया बर्बादियों को,
जुबां मौन कहती है, नाकामियों को।
बिन कहे समझते ,सब जज़्बात हम,
चले आना तुम कुछ ना कहेंगे हम..

तमन्ना हम-कदम के संग चलने की,
जली ख्वाहिशें,थी सूरत बिछड़ने की।
टूटी जो कड़ियाँ आओ फिर जोड़ दें,
बनायें नयी तस्वीर नसीबा मोड़ लें ।
ना होंगे जुदा तुमसे खाते हैं कसम,
चले आना तुम,मिलेंगे संग दो कदम।

सब कुछ भुलाकर तुम्हें हमने पाया,
इन्द्रधनुष प्रणय का दिल में सजाया।
तुम भी भुला दो आओ एक हो जाएं,
करो तुम याद कसमें,वो वादे वफाएं।
तुम्हारी खुशी के लिए मरमिटे थे हम,
चले आना तुम उसी मोड़ पे खड़े हम।

सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।

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