ग़ज़ल
ग़ज़ल चमकती धूप में अपने,बदन को हम जलाते हैं। बड़ी मुश्किल से इस मिट्टी को हम सोना बनाते हैं।। लुटा कर जान उल्फत में,मिली थी यार रुसवाई, ज़रा सी बात में अपने,हमी से रूठ जाते हैं ।। फसल उगती नहीं ऐसे,बुआई में पसीने की, कई बूंदे मिलाकर हम,इसे गुलशन बनाते [...]