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सत्युक्ति

सत्युक्ति बिना पुरुषार्थ, काया से कोई पुरुष नहीं। बिना प्रेम,मोह का कोई महत्व नहीं। राग के समान,इस दुनिया में कोई रोग नहीं। द्वेष के समान,मनुष्य का कोई दुर्भाग्य नहीं। संसार के संस्कार के समान,कोई बंधन नहीं। शांति और मुक्ति के समान, कोई सुख नहीं।। मूढ़ों का सहवास, सदा दुखदायी होता [...]

बच्चों के मुख से

बच्चों के मुख से कौन कहता है बचपन अच्छा होता कहां कोई अपने मन की करने देता यह करो ना करो बनो अच्छे सब का कहना होता जल्दी उठ तैयार हो स्कूल पहुंचना होता बस्ते के बोझ से कमर झुकी कोई व्यथा सुनने वाला होता मम्मी की डाट पीछा कर [...]

किताबें खुशबू देतीं हैं….

किताबें खुशबू देतीं हैं…. ‘ किताबें खुशबू देतीं हैं किताबें मंजिलों का मार्ग समझाती , जीवन की राह बनातीं हैं…..’ ‘किताबें जादूगर सा सब कुछ बदल कर रख देतीं हैं…. किताबें अलबेली, अनमोल होतीं हैं…!!!’ ‘किताबों से मित्रता करिए, ये हमारी हितैषी होतीं हैं। किताबें ही माता पिता सी पूज्यनीय,भाई [...]

आलेख — शाप और वरदान

आलेख — शाप और वरदान — प्रस्तावना – शास्त्रों में वर्णित है कि- परमपिता परमात्मा द्वारा सृष्टि का सर्जन मैं एक हूँ अनेक हो जाऊँ (एकोऽम् बहुस्याम:)..ऐसे संकल्प को पूर्ण करने हेतु आदि पुरुष और प्रकृति के संयोग से इस सृष्टि रचना की गई है। समस्त धर्माचार्य प्रवचन में कहते [...]

भोर

भोर भोर हो गया उठो अब मित्र। प्रकृति का देखो सुंदर चित्र।। लालिमा है प्राची में देख। बनाती विविध रंग आरेख।। झाँकता सूरज देख ललाम। चित्र कितना सुंदर अभिराम।। उषा अभिनंदन करती रोज। पथिक सूरज में भरती ओज।। सुबह का मतलब जानो मीत। प्राणदा बहती वायु पुनीत।। धूल के कण [...]

जय माँ शारदे।

जय माँ शारदे शीश गंग तन भस्म रमाए, पहनें मुण्डों की माला। कानन में बिच्छुन के कुण्डल, गले में नाग विशाला। वाम अंग अंबिका विराजें, नन्दी की करें सवारी, कर त्रिशूल, सिर जटा-जूट, भोला अद्भुत रूप निराला।। राम नाम की जपते माला, राम हृदय में बसाए। राम नाम सुनने हेतु [...]

जय जगन्नाथ

जय जगन्नाथ जगन्नाथ हे महाप्रभु, मास द्वितीय अषाढ़। रथयात्रा जगदीश के, बढ़ते प्रेम प्रगाढ़। बढ़ते प्रेम प्रगाढ़, हरी सुजश बरनै लगे। मधुकर मधुरस काढ़, मधुर मधुर बंशी बजे। कह वैष्णव कवि राय, राधा माधो के लिए। माया नहीं सताय, जगन्नाथ रस जो पिए। लक्ष्मण वैष्णव कोरबा [...]

जीवन क्या है

जीवन क्या है जीवन विविध आयामों से देखा जाता है, विविध आयामों से परिभाषित होता है। जीवन बिंदु में सिंधु है, सिंधु में बिंदु है, जीवन एक रंग मंच है, जिसका आदि है न अंत है। जीवन नित नूतन अभिनय है, स्वर्णिम सूर्य उदय है, उषा की लाली है, प्रतिभा [...]

बरखा की बहार

बरखा की बहार बरखा की आयी बहार, बुदियाँ पड़ने लगी l पुरवा की बहती बयार, नदियाँ उमड़ने लगीं ll पशु – पक्षी हुए खुशहाल, बदरा घुमड़ने लगे l फूल खिलते चमेली गुलाब, बगिया महकने लगी ll सभी नाचे तो आई बहार, बिजुरिया तड़कने लगी l झूला डारौ अमुआ की डार, [...]

अफसाना प्यार का

अफसाना प्यार का अपनों से कैसे गिला करूं सपनों में तुझसे मिला करूं ख्वाबों में ऐसे आती हो बस एक झलक दिखलाती हो। अब क्या देखूं इस दुनिया को नैनों में तुम बस जाती हो फिर इतना प्यार जताती हो कि तुम राधा बन जाती हो । ख्वाबों में जब [...]