सत्युक्ति
सत्युक्ति बिना पुरुषार्थ, काया से कोई पुरुष नहीं। बिना प्रेम,मोह का कोई महत्व नहीं। राग के समान,इस दुनिया में कोई रोग नहीं। द्वेष के समान,मनुष्य का कोई दुर्भाग्य नहीं। संसार के संस्कार के समान,कोई बंधन नहीं। शांति और मुक्ति के समान, कोई सुख नहीं।। मूढ़ों का सहवास, सदा दुखदायी होता [...]