अफसाना प्यार का
अफसाना प्यार का
अपनों से कैसे गिला करूं सपनों में तुझसे मिला करूं
ख्वाबों में ऐसे आती हो बस एक झलक दिखलाती हो।
अब क्या देखूं इस दुनिया को नैनों में तुम बस जाती हो
फिर इतना प्यार जताती हो कि तुम राधा बन जाती हो ।
ख्वाबों में जब वो होती है मेरे ही सपने बुनती है
आ जाए जो याद मेरी वो फिर ना किसी की सुनती है ।
मेरा दिल धड़कती हो खुद को भी तड़पाती हो
आ जाओ ना पास मेरे जब इतना प्यार जताती हो ।
सन्यासी जीवन जीते ही मेरे प्यार में तुम मशहूर हुई
करती थी तुम भी गहरी मोहब्बत फिर क्यों मुझसे दूर हुई ।
जीवन को ऐसा मोड़ दिया राधा श्याम का नाता तोड़ दिया
दुनिया की उलझी राहों में मुझे फिर से अकेला छोड़ दिया।
मेरी याद में जब-जब खोती है
तकिया सिर रख के रोती है
उसे क्या मतलब इस दुनिया से जो प्रेम दीवानी होती है
मांगी थी हमने एक दुआ की सिर्फ उसी से बात हो
नहीं चाहिए कोई परी बस मंजू से मुलाकात हो
*हास्य कवि राजकुमार अहिरवार प्रेरणा*