संवाद
संवाद
है सखे सुनो संवाद कहूं,
मैं किस्सा आज सुनाता हूं ।।
अपनो से लड़ने का मतलब,
मै आज तुम्हे बतलाता हूं ।।
है कौन किसी का यहां देखो,
कैसे यह रिश्ते नाते हैं ।।
जिन को तुम सच समझ रहे,
वह तो वस्त्र पुराने हैं ।।
रहता है केवल शत कर्म यहां,
फिर क्यों नाहक भय खाते हो ।।
देख कर झूठे रिश्ते नातों को,
बेकार में तुम अकुलाते हो ।।
उस दिन को तुम क्या भूले हो,
सर्वस्व तुम्हारा रौदा था।।
तेरी निज भार्या द्रोपति को,
भरी सभा बीच खींचा था।।
यह सब थे वहा पर मौन खड़े,
कोई ना बात चलाता था ।।
लज्जा से झुका हुआ चेहरा,
इनको ध्यान न आता था ।।
पाएंगे दण्ड निज कर्मो का,
नाहक तुम घबराते हो ।।
अपने पन का तुम देखो यहा,
क्यों झूठा प्रपंच दिखाते हो ।।
मुर्दे है केवल पास खड़े,
इनको तो जग से जाना हैं ।।
अपने पिछले कर्मो का,
हिसाब यही दे जाना हैं ।।
डॉ एल एस किरार
अंबाह जिला मुरैना