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(आलेख) हिंदी भाषा हमारी अस्मिता है।

(आलेख) हिंदी भाषा हमारी अस्मिता है। ” सब की भाषा , प्रेम की भाषा। हिंदी है भारत जन की भाषा।” हिंदी हमारी राजभाषा है। हम भारत वासियों में कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें अपनी भाषा से लगाव है? अधिकांश अंग्रेजी भाषा के जानकार लोग अंग्रेजी में बात करते हुए देखे [...]

आलेख विश्वभर में हिंदी की बढ़ती स्वीकार्यता

आलेख विश्वभर में हिंदी की बढ़ती स्वीकार्यता हमारी राजभाषा हिंदी को न केवल अपने देश में , बल्कि वैश्विक स्तर पर पर्याप्त सम्मान मिलता रहा है। हर भारतवासी के लिए यह गौरव का विषय होना चाहिए कि आज दुनिया के 176 विश्व विद्यालयों में हिंदी एक विषय के रूप में [...]

आलेख — शाप और वरदान

आलेख — शाप और वरदान — प्रस्तावना – शास्त्रों में वर्णित है कि- परमपिता परमात्मा द्वारा सृष्टि का सर्जन मैं एक हूँ अनेक हो जाऊँ (एकोऽम् बहुस्याम:)..ऐसे संकल्प को पूर्ण करने हेतु आदि पुरुष और प्रकृति के संयोग से इस सृष्टि रचना की गई है। समस्त धर्माचार्य प्रवचन में कहते [...]

( आलेख ) संचार क्रांति का हिंदी साहित्य पर प्रभाव — प्रस्तावना —

( आलेख ) संचार क्रांति का हिंदी साहित्य पर प्रभाव — प्रस्तावना — मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इस धरा-धाम पर जन्में प्रत्येक प्राणी को जीवन यापन करने एवं उन्नति करने के लिए परिवार का, समाज का सहयोग मिला है। जन्म लेने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति इस सामूहिक समाज [...]

మాంసాహారం కంటే శాఖహారం మేలు

నవ భారత యుగం లో మనుషులు మాంసారం వైపు ఎక్కువ గా మక్కువ చూపిస్తున్నారు.. కానీ మన సనాతన ధర్మం ప్రకారం మాంసాహారం కేవలం రాక్షసులు మాత్రమే తిన్నారు. ఎందుకంటే మాంసారం కేవలం తామస గుణం ను ప్రేరేపిస్తుంది.. అంటే ఎక్కువగా కామం ను ప్రేపిస్తుంది..కామం అంటే కోరిక.. కామం వలన మనిషి బుద్ది నశిస్తుంది.. కొంతమంది సంస్కృతం తెలియని వాళ్ళు వాదిస్తారు రాజులు మాంసం ను తిన్నారు అని. [...]

पेंशन (लघु कथा)

पेंशन (लघु कथा) “अम्मा! तुम भी ना… कर दी ना देर। तुम्हें तो समझाना ही बेकार है। एक दिन घंटी नहीं डोलाती तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ता? जानती हो न! बैंक में कितनी लंबी लाइन लगी रहती है। तो भी बैठ गई भोग लगाने..” माँ तो बस दम साधे [...]

महान नारियां

(लघु आलेख) महान नारियां इतिहास गवाह है जब जब देश में संकट आया तो नारियों ने ही अपने सपूतों का बलिदान दिया। घर परिवार को चलाने के लिए सबसे ज्यादा त्याग नारी का ही रहता है। हर नागरिक को अपना अधिकार तो मालूम रहता है पर कर्तव्य निभाना बहुत कम [...]

स्वागत नव वर्ष…

👉स्वागत नव वर्ष… जीवित रहे हर्ष! सेहत के सौदागरों से… बची रहे चैत की संजीवनी! -साधना सोलंकी वरिष्ठ पत्रकार, राजस्थान फागुन पीत वसन उतार विदा ले चुका है और नव पल्लवित चैत जीवन संजीवनी का परचम लहराते आ पहुंचा है! पर, हैरान परेशान है चैत कि नववर्ष उल्लास में जिस [...]

महिलाओं का राष्ट्र के विकास में योगदान

(लेख) महिलाओं का राष्ट्र के विकास में योगदान भारत में अनेक महिलाओं ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं जहां पुरुषों की बराबरी से प्रयास किया है हर परिस्थिति में महिलाओं ने राष्ट्र के विकास में योगदान दिए हैं किसी भी राष्ट्र का विकास का मुख्य आधार शिक्षा [...]

मेरा गांव मेरा बचपन

मेरा गांव मेरा बचपन “वर्षों पहले पीछे छूट गया वो पुस्तेनी गांव?”कह मिस्टर डिसूजा ने अपनी बात पूरी की तो विस्मृति स्मृति की रेखाएं बरबस ही चेहरे पर खिंच गई। हां अवश्य केबिन में लगे पंखे की खटखट की ध्वनि विचारों में दखल दे रही थी, जिस पर माघमास ने [...]