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महान नारियां

(लघु आलेख)
महान नारियां

इतिहास गवाह है जब जब देश में संकट आया तो नारियों ने ही अपने सपूतों का बलिदान दिया।
घर परिवार को चलाने के लिए सबसे ज्यादा त्याग नारी का ही रहता है।
हर नागरिक को अपना अधिकार तो मालूम रहता है पर कर्तव्य निभाना बहुत कम लोग जानते हैं अधिकार तो लोग हक से मांग लेते हैं पर कर्त्तव्य  करने की जब बारी
आती है। तब कोई नजर नहीं आता बहुत कम लोग यह बात को सोचते हैं।
मेरे अनुसार कर्तव्य निभाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाएं हमारे देश की माताओं की है, जो की नारी है उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इस बात का इतिहास गवाह है हमारी माता इतनी महान है कि धरती मां का कर्ज उतारने के लिए उन्होंने अपने पुत्रों की भी बलि दे दी। उदाहरण
जैसे अनेक शहीदों में एक अशरफ उल्ला काकोरी कांड में जेल की काल कोठरी में बंद थे और उन्हें फांसी के फंदे के लिए कुछ घंटे ही शेष है उन्होंने अपनी माता को खत लिखा और लिखा था कि मां मैं तुझे छोड़ रहा हूं पर मैं खुश हूं कि मातृभूमि धरती माता का कर्ज़ अदा कर दिया।
दूसरा उदाहरण ऐसे वीर शहीद है जैसे राम प्रसाद बिस्मिल सरदार भगत सिंह सुखदेव चंद्रशेखर आजाद सब की माताओं ने भी हंसते हंसते देश की स्वतंत्रता के लिए अपने पुत्रों की वर बलि दी एक बार भी अपने पुत्रों से अपना कर्ज अदा करने के लिए नहीं कहा भारत माता पर कुर्बान कर दिया।
तीसरा उदाहरण सुभाष चंद्र बोस ने जब ललकारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा ऐसा नारा दिया था तब हमारी माता और बहनों ने ही अपने खून स्वरूप अपने पुत्र उन्हें मातृभूमि की रक्षा के लिए दे दिए थे, आजाद हिंद फौज की स्थापना हुई।

एक घटना इतिहास की और है,
यूनान और फारस के बीच युद्ध चल रहा था यूनानी बड़ी वीरता से लड़ रहे थे पर देवी के मंदिर के पुजारी थे फारस देश वालों के लिए जासूसी कर रहे थे इसके कारण वे हार गए यह पता चलने पर यूनान के न्याय सभा न्याय करने में जुट गई पुजारी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया न्यायमूर्ति के सम्मुख क्षमा याचना की गई सभा में विचार होने लगा इतने में एक बूढ़ी औरत सभा के सम्मुख आकर खड़ी हो गई-
और वह बोली समय अधिक सोचने विचारने का नहीं है यह दोबारा देशद्रोह ना करें इसका क्या भरोसा है?
इसे छोड़ देने से दूसरों को भी यह कार्य करने का प्रोत्साहन मिलेगा इसीलिए इसे तुरंत प्राण दंड मिलना चाहिए यह मेरा पुत्र है इसलिए मुझे पुत्र प्रेम है पर इससे अधिक में देश प्रेम को महत्व देती हूं वास्तव में आदर्श नागरिक के लिए राष्ट्र एवं समाज के समक्ष अपनी संतान को कुछ नहीं है। राशि का मुंह नहीं कर्तव्य की जीत होनी चाहिए।
कभी भी बेटा कपूत हो सकता है पर मैं कभी अपने बेटे से मुख नहीं मूर्ति मां का चाहे अपना बेटा हो या किसी और का बेटा एक माह सब पर अपनी ममता निछावर करती है।

अगर सब लोग कर्तव्य का सही ढंग से निर्वाह करें उस राष्ट्र को उन्नत राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता और राम राज्य की स्थापना सच में हो जाएगी।

उमा मिश्रा प्रीति

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