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श्री कमलाबारी सत्र का प्रतिनिधि कार्यालय दिल्ली में

इस उपलक्ष्य में इस 17 फरवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कालेज के सभागार में पूर्वोत्तर में वैष्णव भक्ति के विकास में सत्र की भूमिका पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है और जिसमें असम के मुख्यमंत्री के अलावा अन्यान्य गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे . कल इसकी असम हाउस में एक सभा हुई जिसमें दिल्ली के प्रमुख शिक्षाविदों और समाजसेवियों के साथ संवाद हुआ .

भारतवर्ष के विस्तृत पूर्वोत्तर भूभाग में और विशेष रूप से, असम क्षेत्र में 550 वर्ष पूर्व श्रीमंत शंकर देव जी और महापुरुष श्री माधवदेव जी द्वारा *सत्र* परम्परा प्रारम्भ की गई थी।

*सत्र* इस क्षेत्र के धार्मिक, आध्यात्मिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र होते हैं।
*सत्र* भारत के मैदानी भूभाग के मठ या अखाड़े की तरह ही होते हैं। सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र होने के कारण, *सत्र* क्षेत्र की धुरी की तरह होते हैं l
इसी श्रंखला में 1673 में, महापुरुष श्री माधव देव जी के उत्तराधिकारी पूज्यपाद श्री श्री बादला पद्मअता जी ने ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य स्थित सुुरम्य द्वीप, *माजुली* में, *श्री उत्तर कमलाबारी सत्र* की स्थापना की थी।
इस वर्ष अपनी स्थापना के 550 गौरवशाली वर्ष पूरे कर रहा है l
इस सत्र के वर्तमान सत्राधिकारी (Pithadhishvar) हैं, पूज्य पाद श्री श्री डॉ जनार्दन देव गोस्वामी जी, जो अपने जीवन के 50 वर्ष पूरे कर रहे हैं।

इस उपलक्ष में 6 फरवरी को, पूसा रोड, करौल बाग में, DIAS के सभागार में एक सम्मान एवं सम्पर्क कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य संस्कृति प्रेमियों के साथ, प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय महासचिव, प्रदीप मिश्र “अजनबी” ने भी प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम के बाद पूज्यपाद ने प्रसाद वितरण किया। सभी उपस्थित महानुभावों के जलपान के पश्चात, सत्र का एक प्रतिनिधि कार्यालय, DIAS के कार्यालय में स्थापित किया गया। उसके बाद कार्यक्रम के समापन का उद्बोधन किया।

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