जीवन क्या है
जीवन क्या है
जीवन विविध आयामों से देखा जाता है,
विविध आयामों से परिभाषित होता है।
जीवन बिंदु में सिंधु है, सिंधु में बिंदु है,
जीवन एक रंग मंच है, जिसका आदि है न अंत है।
जीवन नित नूतन अभिनय है,
स्वर्णिम सूर्य उदय है,
उषा की लाली है,
प्रतिभा की डाली है।
खिलते हैं बहुरंगी पुष्प जहां,
इन से सुवासित है जीवन,
जीवन संघर्ष है, जीवन उत्कर्ष है,
जीवन गतिमान है, जीवन प्रतिमान है।
जीवन एक धरोहर है,
मन मानस हंस सरोवर है।
जीवन गीत है, लयबद्ध संगीत है,
जीवन सुरताल है, कभी-कभी बेताल है।
जीवन का अपना रंग है,
जीवन का अपना ढंग है।
जीवन समर्पण है,
जीवन अर्पण व तर्पण है।
जीवन की कोई सीमा नहीं,
जीवन की कोई परिधि नहीं,
सीमित में असीमित है जीवन, असीमित में सीमित है जीवन।
कवियित्री श्रीमती सुभद्रा द्विवेदी,
लखनऊ