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जय माँ शारदे।

जय माँ शारदे

शीश गंग तन भस्म रमाए, पहनें मुण्डों की माला।
कानन में बिच्छुन के कुण्डल, गले में नाग विशाला।
वाम अंग अंबिका विराजें, नन्दी की करें सवारी,
कर त्रिशूल, सिर जटा-जूट, भोला अद्भुत रूप निराला।।

राम नाम की जपते माला, राम हृदय में बसाए।
राम नाम सुनने हेतु ,श्मशान में धूनी रमाए।
राम और शंकर करते हैं एक दूजे की पूजा,
राम को शिव और शिव को राम बहुत अधिक हैं भाए।।

प्रतिदिन जो शिवलिंग को गंगाजल से नहलाते हैं।
सात जन्म के उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
जो भक्तिभाव से भोले को बेलपत्र करते अर्पित,
शिवलोक में शिव के संग परमानंद को पाते हैं।।

सब मनोकामना पूर्ण होतीं शिव के दरबार में।
यहाँ तनिक भी न देरी लगती मानव के उद्धार में।
सबकी झोली भरते हैं, मेरे शिव भोले भण्डारी,
शिव की ही करूणा से खुशियां आतीं घर परिवार में।।

राम जी तिवारी ‘राम’
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

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