Search for:

सत्युक्ति

सत्युक्ति

बिना पुरुषार्थ, काया से कोई पुरुष नहीं।
बिना प्रेम,मोह का कोई महत्व नहीं।
राग के समान,इस दुनिया में कोई रोग नहीं।
द्वेष के समान,मनुष्य का कोई दुर्भाग्य नहीं।
संसार के संस्कार के समान,कोई बंधन नहीं।
शांति और मुक्ति के समान, कोई सुख नहीं।।

मूढ़ों का सहवास, सदा दुखदायी होता है।
बुद्धों का अनुगमन,सदा लाभदायी होता है।।

काम इंसान को कामी बना देता है।
संतोष इंसान को संयमी बना देता है।
क्रोध मनुष्य को अंधा कर देता है।
क्षमा, क्रोध को मंदा कर देता है।।

चित्त की चंचलता,चरित्र का हनन कर देती है।
इंद्रियों का निग्रह,ध्यान को गहन कर देती है।
संसार की सारी हिंसा का जड़,
अज्ञान होता है।
जो अपने अंदर के अज्ञान को मार दे,
वही मनुष्य महान होता है।।

अर्चना
गाजीपुर उत्तर प्रदेश

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required