जम्होर के विभिन्न मंदिरों में वट सावित्री पूजा धूमधाम से मनाई गई
जम्होर के विभिन्न मंदिरों में वट सावित्री पूजा धूमधाम से मनाई गई
औरंगाबाद 6/6/24
सदर प्रखंड स्थित ग्राम जम्होर में वट सावित्री व्रत एवं शनि जयंती के अवसर पर विभिन्न मंदिरों के प्रांगण में अवस्थित वट वृक्ष के पास सुबह सवेरे से ही महिलाओं की लंबी कतारें देखी गई।जम्होर थाना के समीप सिद्धनाथ मंदिर परिसर, विष्णु धाम का त्रिसंकट निवारण वृक्ष, इंटर विद्यालय जम्होर के मैदान के समीप बट वृक्ष, पावरगंज बस स्टैंड के समीप के वट वृक्ष के पास सैकड़ो महिलाओं ने बट सावित्री व्रत के निमित पूजा अर्चन की।जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने अवलोकन करते हुए कहा कि इस दिन महिलाएं सोलह सिंगार कर दो टोकरी में पूजा का सामान लेकर बट वृक्ष के नीचे बैठकर वट सावित्री की कथा सुनती हैं। बट वृक्ष को जल से सिंचती हैं। इसके बाद बट वृक्ष को रोली चंदन का टीका लगाती हैं।हाथ में कच्चा सूत लेकर वृक्ष में लपेटते हुए परिक्रमा करके पूजा संपन्न करती हैं।मान्यता है कि ऐसा करने से उनके पति का आयु लंबा होता है वह सदा सुहागन बनी रहती हैं एवं उनके घर में सुख समृद्धि आती है। पुत्र पौत्र खुशहाल रहते हैं ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन किए गए पूजा पाठ कभी निष्फल नहीं होते। आचार्य रवि शंकर पाठक ने इस संबंध में बताया कि यदि किसी दंपति के कुंडली में वैधव्य दोष हो तो वह बट सावित्री पूजा के दिन यदि सच्चे मन से पूजा पाठ करते हैं तो उनका वैधव्य दोष समाप्त हो जाता है। इस दिन महिलाओं को आम का मुरब्बा गुड़ या चीनी का शरबत अवश्य ग्रहण करना चाहिए।साथ ही साथ पुड़ी चना और पुआ का प्रसाद भगवान को भोग लगाना चाहिए एवं स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।आचार्य नागेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि इस दिन तामसिक प्रवृत्ति के वस्तु बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। विष्णु धाम के महंत बालकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि जेठ अमावस्या के दिन ही सूर्यपुत्र शनि भगवान का जन्म हुआ था। ज्योतिष शास्त्र में भगवान शनि को कर्म का देवता माना जाता है वे व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों के आधार पर फल देते हैं इस दिन उनकी पूजा करनी चाहिए छाया दान करना चाहिए ऐसा करने से शनि दोष, साढ़ेसाती से मुक्ति भी मिलती है। ऐसे भी मान्यता है कि तीर्थ स्थलों पर इस दिन पितृ तर्पण भी यदि नियम पूर्वक किया जाए तो पितृ दोष से भी मुक्ति मिल सकती है।