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गौ माता की करुण पुकार

गौ माता की करुण पुकार आज कन्हैया, तेरी गैया, जाती कत्लेख़ाने को । दर्द भरी आवाज़ ही अब तो, रह गई तुझे सुनाने को ।। सतयुग, त्रेता, द्वापर में भी, घर-घर पूजी जाती थी । ऋषियों-मुनियों के गुरुकुल में, ही सच्चा सुख पाती थी ।। बीते दिन ही अच्छे थे, [...]

आजादी का मतलब

आजादी का मतलब आजादी का मतलब है कि, बंदिश समाज की टूटी हो। भयमुक्त सभी चहुंओर रहे, भेदभाव की बेड़ियाँ छूटी हो।। आजादी का मतलब है कि, बिन रोक कही भी जाना हो। अरुणाचल,जम्मू, तमिलनाडु, अपनापन सबको माना हो।। आजादी का मतलब है कि, मानवता पहला धर्म रहे। जाति धर्म [...]

आंदोलन (अंग्रेजो भारत छोड़ो)

आंदोलन (अंग्रेजो भारत छोड़ो) आंदोलन करना ही था जब देश जंजीरों में जकड़ा था गुलामी की बेड़ियों में हर इंसान कैद था जंग करनी थी और आजादी का जश्न मनाना था यहां सब फिरगी को देश से बाहर निकाल फेंकना ही जिंदगी का दायित्व था। फिरंगियों के अत्याचार से मां [...]

गुरु चरणों की धूल

गुरु चरणों की धूल फहराता है सैनिक ये जब। तिरंगा प्यारा सरहदों से।। सुभाशीष है उन शूरवीर। गौरवान्वित माता हर्ष से।। त्याज्य सर्वस्व शौर्य शूरसेनों। पग अश्रु जल से धो लूॅंगा। प्रयाग के उन पन्ड़ों से मैं। वीरों का पिण्ड दान कराऊॅंगा। वीरांगना लक्ष्मीबाई महारानी ने। गौरों को दांतों चना [...]

सनातन संस्कृति

सनातन संस्कृति आदिम युग में जहाॅं विश्व में, पशु से बदतर था इन्सान। वहीं हमारे भारत में था, नभ में उड़ता उन्नत यान।। किरण मात्र को तरस रहा था, अन्धकारमय जब संसार । तब भारत का सूर्य पवन पर, जल पावक पर था अधिकार। शेष विश्व में भटक रहा था, [...]

हिन्दी की दुर्दशा ( गीत )

हिन्दी की दुर्दशा ( गीत ) आठ आठ आँसू रोये भव्य भारती ! हिन्दी आज हिन्द से हिसाब माँगती !! संसकृत सिसकती सिमटी यहां ! देववाणी उपमा दे बेचा है कहाँ ? वोलत विदिशी वोली बाचाली वहां! संसद सदन सारा गौरव जहां !! हुआ ह्रास हिन्दी का निदान चाहती ! [...]

आज़ादी का मतलब ( फायकु )

आज़ादी का मतलब ( फायकु ) डॉ.बन्सीलाल गाडीलोहार, नाशिक आज़ादी का तात्पर्य नहीं गुलामी तनमन की सहते रहना । आज़ादी का अर्थ नहीं दूसरों के अधिकार हनन करना । आज़ादी का मतलब नहीं अपना ही मतलब साधते रहना । आज़ादी का तात्पर्य नहीं स्वैराचार से अपना मार्ग अपनाना । आज़ादी [...]

सरदार बल्लभभाई पटेल

सरदार बल्लभभाई पटेल बज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि l लोकोत्तराणाम चेतांसि को नु विज्ञातुमर्हति ll सरदार बल्लभभाई पटेल पुष्प सदृश कोमल थे और बज्र से कठोर I उनकी आंखों में विलक्षण तेज था उनकी वाणी में महाशक्ति की हुंकार थी उनके पैरों में पवन सी गति थी उनकी प्रतिभा में मां [...]

( गीत ) मुखरित मौन की आवाज

( गीत ) मुखरित मौन की आवाज क्रूरता की चोटियों में निर्धनों की रोटियों में देख जंगल राज गूंजती है आज,मुखरित मौन की आवाज कल्पना की डोर चढ़कर उड़ रहा मन ज्यों गगनचर व्योम से झांके धरा पर सृष्टि की मोहक कला पर पुष्प सुरभित क्यारियों को देखकर हरियालियों को [...]

माँ तेरे जाने के बाद

माँ तेरे जाने के बाद माँ तेरे जाने के बाद, हम रहेंगे अति उदास। नहीं होगा कोई पास, भले सब आस- पास। धीरज नहीं रह पाएगा, साहस कहाँ से आयेंगे? बुद्धि आएगी नहीं, बलहीन हम हो जायेंगे। भूख जानेगा नहीं, स्वार्थ ही रह जाएँगे। तुम जैसा होगा नहीं, प्यासे ही [...]