महत्व शादी की अंगूठी का
महत्व शादी की अंगूठी का
शादी की अंगूठी का महत्व, तो चला आ रहा है सदियों से |
लेकिन आज बताए तुम्हें, अपनी लेखनी के माध्यम से |
अब समय का दौर, कुछ बदल सा गया है |
जब तक न होती, आजकल लोगों की शादी |
तब तक है सोचते, कब होगी हमारी शादी |
कब कोई पहनाएगा हमें, खूबसूरत सी शादी की अंगूठी |
जब हो जाती उनकी शादी, तब शादी की अंगूठी पहनकर |
पहले सब हैं बहुत इतराते |
दोस्त भाइयों के पास जा-जाकर, शान से है इसे दिखलाते |
लेकिन इसके महत्व को, ठीक से कभी समझ ही न पाते |
जब होती आपस में, छोटी-मोटी सी तकरार कभी |
उसे हाथों से उतार फेकते, एक झटके में सभी |
जैसे रहा हो, यह एक दो दिन का ही किस्सा |
हँसी-खेल में शादी की अंगूठी के संग,
वह खूबसूरत एहसास भी जैसे पल-भर में हैं मन से रिसता |
आखिर कोई इसके महत्व को, क्यों न है सही में समझता |
मानो जुड़ा हो,
सिर्फ शादी के अंगूठी के बल पर ही यह रिश्ता |
मंजू की लेखनी कहती सबसे |
यह तो होता जन्मों-जन्मों का रिश्ता |
जो ईश्वर की मर्जी से ही है हरदम जुड़ता |
फिर हँसी खेल सा,
क्यों है आजकल कुछ लोगों को लगता |
यह तो है दिल से दिल का रिश्ता |
जो कभी-कभी उतार-चढ़ाव से भी होकर है गुजरता |
कई बार दिक्कतों भरी पगडंडियों से भी,
होकर है यह आगे बढ़ता |
कभी पतझड़ तो कभी बसंत की, बहार सा है यह लगता |
कई ठोकर खा-खाकर, है गिरता और संभलता |
जिन जीवन-साथी का यह रिश्ता |
कई परेशानियों को झेलकर भी है आगे बढ़ता रहता |
तभी तो शादी की अंगूठी से जुड़ा, यह प्यारा सा रिश्ता |
जन्म-जन्मांतर तक, एहसासों की नमीं के संग है यह टिकता |
उस नीली छतरी वाले की मर्जी से ही है यह जुड़ता |
तुम न समझो कभी, यह प्यारा सा खूबसूरत सा रिश्ता |
सिर्फ और सिर्फ, शादी की अंगूठी से ही है जुड़ता |
जो पल भर में कभी, यूँ ही तो न है टूट सकता |
यह तो खूबसूरत एहसासों के बल पर ही, हरदम है टिकता |
यह तो मुझे खुदा की इबादत सा, हर-पल है लगता |
मानाकि इसे फलने-फूलने में, थोड़ा वक्त जरूर है लगता |
जो धैर्य के साथ इस रिश्ते में, हर पल आगे ही आगे है बढ़ता |
वही सही मायने में,
शादी की अंगूठी की कीमत को है समझता ||
मंजू अशोक राजाभोज
भंडारा (महाराष्ट्र)