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सरदार बल्लभभाई पटेल

सरदार बल्लभभाई पटेल

बज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि l
लोकोत्तराणाम चेतांसि को नु विज्ञातुमर्हति ll

सरदार बल्लभभाई पटेल पुष्प सदृश कोमल थे और बज्र से कठोर I उनकी आंखों में विलक्षण तेज था उनकी वाणी में महाशक्ति की हुंकार थी उनके पैरों में पवन सी गति थी उनकी प्रतिभा में मां सरस्वती का निवास था I वे एक सच्चे साधु और कुशल नीतिकार थे I

विशाल वक्ष चौड़ा माथा बड़ी-बड़ी आँखों का ध्यान आते ही सरदार बल्लभभाई पटेल का चित्र सामने आ जाता है I उनके भाल पर लहराती हुई त्रिवली त्रिगुणात्मक त्रिवेणी सी सुशोभित होती थी I उनके उन्नत ललाट से नीति बरसती थी, विशाल बक्शी दृढ़ता झलकती थी, बड़ी-बड़ी आंखों से क्रांति के अंगारे निकलते थे, सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म सन 1875 ईस्वी में करमसद गुजरात में हुआ था I उनके पिता का नाम झबेर भाई पटेल था इनके पिता बड़े वीर और देशभक्त थे सन 1857 ईस्वी के गदर में ये झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में अंग्रेजों से लड़े थे I
सरदार बल्लभभाई पटेल की माता भी वीरांगना और धर्म परायणा थी I वह चरखा कातती थी, घर का काम करती थी , और ईश्वर पूजा में प्रसन्न रहती थी I विद्यार्थी जीवन में सरदार बल्लभभाई पटेल शांत और गंभीर रहते थे I चपलता में भी कम नहीं थे, पर वह ऐसे ही थे जैसे मर्यादा में समुद्र I अध्यापकों की अनुचित बात आपसे सहन नहीं होती थी I गलत बात का आप जोरदार विरोध करते थे I एक अध्यापक तो आपको चिढ़ाने के लिए महापुरुष कहकर भी पुकारने लगे थे I
पर उनकी यह वाणी वरदान के रूप में हो गई I सच है कि गुरु का वाक्य ब्रह्म वाक्य होता है वह अंत तक अन्याय का विरोध करते रहे और सदा उनका मस्तक ऊंचा रहा I वे मिट सकते थे, पर झुक नहीं सकते थे I वह लोहे के इंसान थे I
जब सरदार बल्लभभाई पटेल विलायत बैरिस्टरी पास करने गए तो वहां एक पुस्तकालय उनके निवास से 11 मील दूर था I आप प्रतिदिन वहाँ जाते और पुस्तकालय खुलने से बंद होने तक बराबर पढ़ते रहते थे I विलायत से प्रथम श्रेणी में बैरिस्टरी पास कर आप भारत लौटे I भारत आकर सरदार बल्लभभाई पटेल जी ने कुछ समय तक वकालत की और फिर देश की परतंत्रता एवं दयनीय दशा देखकर स्वतंत्रता के लिए कार्यक्षेत्र में उत्तर पड़े I
सरदार बल्लभभाई पटेल जी पर गांधी जी का ऐसा प्रभाव पड़ा कि वे सदा सदा के लिए उनके पक्के भक्त हो गए I बापूजी में कुछ ऐसा ही आकर्षण था, कि वह जिसकी ओर देखते थे I वही उनका हो जाता था I सरदार बल्लभभाई पटेल जी गांधी जी के रास्तों पर चलने लगे I वह गरीब किसानों के विषय में कहा करते थे, कि यह अन्याय है – कि कड़ी धूप में तप – तप कर संसार का पालन पोषण करने वाला भगवान भूखा रहे I वर्षा और आँधी में अन्न उपजाने वाले वस्त्र हीन होकर जाड़ों में ठिठुरते रहें, और सड़कों पर पड़े रहें I वे हर तरह से किसानों की मदद करने लगे I पटेल जी ने गुजरात में सरकारी अफसर द्वारा किसानों से ली जाने वाली बेगार को बंद कर दिया I
सरदार बल्लभभाई पटेल जी ने 10 लाख रुपया इकट्ठा कर गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की I ‘रोलेट’ एक्ट का खुल्लम-खुल्ला विरोध किया I सत्याग्रह के समय आपने बुलंद आवाज में कहा – “भाइयों ! वैशाख जेठ की गर्मी के बिना आषाढ़ सावन में वर्षा नहीं होती I भला फिर बिना यातनाएं सहे स्वतंत्रता का आनंद कैसे मिल सकता है I विदेशी सरकार तो सांप की कांचली के समान है हमेशा बात की बात में अपने ऊपर से उतार सकते हैं I जब रक्षक की भक्षक बन जाए तो वह हमारा क्या लगता है ? हमें उसे मिट्टी में मिलाने के लिए कमर कस लेनी चाहिए I”
सन 1928 ई के बारदोली सत्याग्रह से ही आपको सरदार कहा जाता है जब सन 1927 ईस्वी में मुंबई सरकार ने किसानों पर नया बंदोबस्त कर 22 पाई प्रति सैकड़ा बढ़ा दिया, तो सरकार बल्लभभाई पटेल ने किसानों को लेकर विरोध में सत्याग्रह कर दिया I और किसानों को चेतावनी दे दी, कि एक पाई भी लगान की न दी जाए I यदि सरकार में हिम्मत है तो वसूल कर ले I सरकार बौखला कर किसानों को मारने पीटने लगी तथा उन्हें हवालातों में भी बंद करने लगी I सरदार बल्लभभाई पटेल वहां दृढ़ किले की दीवारों की तरह खड़े हो गए I यहां तक कि अफसरों का गांव तक जाना भी मुश्किल हो गया I सरकार घबरा गई I ऐसा हो गया मानो बारडोली में सरकार का नहीं सरदार वल्लभभाई पटेल का राज्य है I हार कर सरकार को झुकना पड़ा, और उसने समझौता किया I किसानों की छीनी हुई जमीन दे दी, बंदियों को छोड़ा गया I किसान सरदार बल्लभभाई पटेल की जय जयकार करने लगे I
सन 1931 ईस्वी में कराँची कांग्रेस के सरदार बल्लभभाई पटेल सभापति बनाए गए I वह समय बड़े ही संकट का था I भगत सिंह को फांसी, मुस्लिम दंगे, सत्याग्रह की प्रतिक्रिया आदि उस समय अग्नि सी बनी हुई थी I पर सरदार बल्लभभाई पटेल ने बड़े साहस और ज्ञान के साथ स्थितियों पर काबू किया I सरदार बल्लभभाई पटेल लौह पुरुष थे I सरकार उस वीर योद्धा से काँपती थी I इनके विषय में कहा भी गया है –
भारत बल्लभ भाग्य सितारे I
इधर तुम्हारी वाणी हिलती, उधर काँप जाते हत्यारे II

सरदार बल्लभभाई पटेल के सामने शत्रु सूखे पत्ते की तरह काँपते थे I जब पाकिस्तान ने अधिक सिर उठाया तो सरदार बल्लभभाई पटेल ने गर्जना की कि,” कश्मीर में ही क्या फिर लाहौर में ही आकर लड़ लोI” सरदार बल्लभभाई पटेल जी की हुंकार से सोए हुए शेर जागकर उनके साथ हो लेते थे I भारत की स्थिति को पहचानते हुए उन्होंने यह वाक्य कहा था कि “इस देश को शत्रुओं से इतना भय नहीं,जितना दोस्तों से है I” भारत के गृहमंत्री एवं उप प्रधानमंत्री रहते हुए सरदार पटेल ने आशातीत सफलता से शासन किया I वास्तव में सरदार बल्लभभाई पटेल स्वतंत्र भारत के चाणक्य थे I आजादी के अनेक तारों में आज वह सूरज हमारे सामने नहीं है I यदि सरदार बल्लभभाई पटेल होते तो भारत की भव्यता को चार चांद लग जाते I स्वतंत्र भारत सरदार वल्लभभाई पटेल के सदैव गीत गाता रहेगा I

अंत में मैं अपनी वाणी को विराम देते हुए यह कहना चाहूंगा I

“सरदार बल्लभभाई पटेल हमेशा अमर रहेंगे I
वह जन मानस को उचित राह दिखाते रहेंगे ll”
जय हिन्द जय भारत!

डॉ. बिश्वम्भर दयाल अवस्थी
मो. 271 मुरारी नगर, सिद्धेश्वर रोड, गली नं. 4 खुर्जा, बुलंदशहर (उ. प्र.)203131 l

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