गुरु चरणों की धूल
गुरु चरणों की धूल
फहराता है सैनिक ये जब।
तिरंगा प्यारा सरहदों से।।
सुभाशीष है उन शूरवीर।
गौरवान्वित माता हर्ष से।।
त्याज्य सर्वस्व शौर्य शूरसेनों।
पग अश्रु जल से धो लूॅंगा।
प्रयाग के उन पन्ड़ों से मैं।
वीरों का पिण्ड दान कराऊॅंगा।
वीरांगना लक्ष्मीबाई महारानी ने।
गौरों को दांतों चना चबवाए है।
सुभाषचन्द्र और भगत सिंह से।
शूरवीरों का नित्य गुण गाऊॅंगा।।
चन्द्रशेखर आज़ाद रामप्रसाद ये।
बिस्मिल सुखदेव जाॅं दे दी।
सर्वस्व न्यौछावर कर जननी मां।
भारत मां की आजादी में।।
जन मानस दी आहुति हर्षन।
क्रांतिकारी जागरूक भी थे।
मातृभूमि को स्वतंत्र कराने।
आंखों में संजोए सपने थे।।
ग़द्दारों पे विश्वास करों मत।
चाहों भ्रम मिटा गुनिया में।
नेक कर्म से प्रबल बनोगे।
जीवन सफल भला गुनिया में।
राष्ट्राभिनंदन स्वतंत्र दिवस पर।
जन मानस का कीवन हो।
जग जाहिर जौहर संसार में।
मन मस्तिष्क जग का हर्षित हो।
रॅंगी राही ज्ञान गुण सागर में।
कनक झनक रवि हंगामा स्वर्में हो।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
पठौरिया झाँसी