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लघुकथा: संवेदना शून्य

लघुकथा: संवेदना शून्य “पीयूष! कहाँ जा रहा है तू?” बड़ी बहन पूजा ने पूछा। “टोक दिया न! इस घर में हर कोई मुखिया बनना चाहता है। अब पापा जी नहीं रहे तो पीयूष ही इस घर के मुखिया हैं।”पीयूष की पत्नी दीप्ति बोली। ” हाँ! हाँ! तो मैंने कब कहा [...]

‘तुझे शत-शत नमन है’

‘तुझे शत-शत नमन है’ नमन है! नमन है! तुझे- तुझे शत – शत नमन है! हे चित्रांश गौरव, हे युग श्रेष्ठ – साहित्य की सच्ची पहचान! तुझे नमन है..! निष्पक्ष, निर्भेद, निर्विवाद- स+ हित को समेटे – दलित, किसान, सर्वहारा महिला, अछूत, सर्व वर्गों की पीड़ाओं को लपेटे- सृजा तुमने [...]

( प्रेमचंद जयंती विशेष ) मुंशी प्रेमचंद की प्रासंगिकता

( प्रेमचंद जयंती विशेष ) मुंशी प्रेमचंद की प्रासंगिकता प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936). हिंदी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक थे। उनका मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचन्द के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास [...]

मुंशी प्रेमचंद जी

मुंशी प्रेमचंद जी “प्रेमचंद जी की कलम से निकले शब्द, साहित्य की दुनिया में अमर हो गए। ग्रामीण जीवन की सच्चाई को उन्होंने दिखाया, और समाज की बुराईयों पर प्रकाश डाला。 उनकी कहानियों में जीवन की सच्चाई है, और उनके शब्दों में दिल की आवाज है। प्रेमचंद जी का साहित्य [...]

यही कहानी

  यही कहानी हंसा बहुत पर सुख न जानी, जीवन की बस यही कहानी। प्यार बांटकर घृणा पाया, नेकी करके चोटें खाया, दोष यही कि हूं स्वाभिमानी, जीवन की बस यही कहानी। हंस हंसकर हर पीड़ा सहा, लेकिन कभी उफ न कहा, परिस्थितियों से हार न मानी, जीवन की बस [...]

कहानी विद्यालय का भूत

कहानी विद्यालय का भूत बात उस समय की है ,जब विद्यालय खुलने के समय से काफी देर बाद चहकते हुए बच्चे बरसात की रिमझिम बूंद के साथ स्कूल में प्रवेश कर रहे थे! सामने बैठे गुरुजी बालकों का इंतजार करते हुए खुशी से बोले ,”अरे बच्चों इतनी देर में क्यों [...]

औरंगाबाद के साहित्यकार पलामू में लोकार्पण समारोह के साक्षी बने

औरंगाबाद के साहित्यकार पलामू में लोकार्पण समारोह के साक्षी बने औरंगाबाद 30/7/24 औरंगाबाद जिले के ख्याति प्राप्त साहित्यकारों ने पलामू के धरती पर जाकर वहां के मिट्टी के सोंधी महक से सजी हुई साहित्यिक सरिता को उत्सर्जित करती मुक्तक पंचामृत काव्य के लोकार्पण के साक्षी बने। औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य [...]

हे राम जी बड़ा दु:ख दीना,

गुरु चरणों की धूल हे राम जी बड़ा दु:ख दीना, स्थाई- हे स्याम जी मोड़ मुख दीना, मेरे मोहन ने मुख मोड़ दीना। अद्भुत चतुराई मुझे विरहन बनाई, मोहन ने छोड़ मुझे दीना,मुख मोड़ दीना।। मेरे मोहन ने मुख मोड़ दीना।। हे श्याम जी मोड़ मुख दीना—– अन्तरा-१ वो मोहक [...]

मेरा स्कूल,कहा कुछ बदला हैं

मेरा स्कूल,कहा कुछ बदला हैं सोचा क्यों न फिर से स्कूल जाया जाए। फिर से थोड़ा बचपन जिया जाए। वर्षों बाद स्कूल(स्कूलपारा वाला)गया । जहा हमारी यादे है, खण्डहरों में तब्दील हो चुका है ।हाँ, पर कुछ नए बने जरूर है ,जो कि पक्के है तब खपरैल के हुआ करते [...]

गीत है ये…

गीत है ये… गीत है ये तेरा, गीत है ये मेरा! जो सुहानी ग़ज़ल वक्त लिखता गया! खुल के हमने न गाया तो क्या फायदा! गीत है ये तेरा……. जिंदगी रोज़ तूफां में चलती रही! कोई कश्ती नहीं कोई साथी नहीं! जो किनारा न पाया तो क्या फायदा ! गीत [...]