लघुकथा: संवेदना शून्य
लघुकथा: संवेदना शून्य “पीयूष! कहाँ जा रहा है तू?” बड़ी बहन पूजा ने पूछा। “टोक दिया न! इस घर में हर कोई मुखिया बनना चाहता है। अब पापा जी नहीं रहे तो पीयूष ही इस घर के मुखिया हैं।”पीयूष की पत्नी दीप्ति बोली। ” हाँ! हाँ! तो मैंने कब कहा [...]