सोलह श्रृंगार
सोलह श्रृंगार मैं तो सुहाग सिंदूर मांग सजाऊँ। मैं तो कंगन,चूड़ी खन-खन खनकाऊँ। मैं तो पायलियाँ छन-छन छनकाऊँ। होता नहीं भाग्य में लिखा सबका सोलह श्रृंगार। चाहिए इसके लिए प्रभु जी की कृपा अपार। मैं तो मेहंदी हाथ रचाऊँ। मैं तो महावर पांव लगाऊँ। काजल से अखियाँ कजराऊँ। होता नहीं [...]