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भरत जी रामराज्य के आधार -हिमान्शु महाराज

भरत जी रामराज्य के आधार -हिमान्शु महाराज

लोरमी-संत तुलसीचौक मानस मंच सारधा मे बहत्तरवे नवान्ह यज्ञ मानस यज्ञ मे पंचम दिवस मे प्रवचन करते हुए कथावाचक डाक्टर पंडित सत्यनारायण तिवारी हिमान्शु महाराज ने रामराज्य का आधार धर्म की धूरी को धारण करने वाले संत भरत को बतलाया। भरत जी द्वारा प्रयागराज से मांगा गया वरदान कि’अरथ न धरम काम रूचि, गति न चह उ निरबान।जनम जनम रति राम पद, यह वरदान न आन।भरत जी के राम प्रेम की पराकाष्ठा और सान्सारिक वैभव के प्रति सर्वोच्च त्याग का परिचायक है।डाक्टर तिवारी ने कहा कि जगत और जगदीश को पाने का सूत्र प्रेम ही है।भारत व सनातन धर्म सदैव प्रेम और भाईचारा का पक्षधर रहा है।रामचरित मानस लोगो को हृदय से जोड़ने और जूडने का संदेश देती है।आज का भारत सशक्त समृद्ध व समर्थ होकर विश्व को नयी दिशा दे रहा है इसमे हमारे धर्म ग्रन्थो का विशेष योगदान है।सारधा का नवधा रामायण जिले और प्रदेश का इकलौता मानस कार्यक्रम है जो सन 1953से प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा पर विगत 72वर्षो से लगातार आयोजित होते आ रहा है।उक्त कार्यक्रम मे डॉक्टर महेश कुमार शुक्ल, उदेराम साहू,श्रीमती निर्मला साहू व कमलेश्वर ने प्रवचन किया। जिले व प्रदेश की मानस मंडलिया प्रतिदिन भाग ले रही है।उक्त अवसर पर बुधराम चन्द्रसेन, तितरासिह, रघुनाथ साहू उदेराम चन्द्रसेन, दुखीराम, रूपसिंह लालबहादुर द्वारिका साहू टीकाराम रामनाथ और गोकुलसिह सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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