रंगोत्सव दोहे
रंगोत्सव दोहे रंग बसंती निकल गया, फागुन आई धार। सारे रंग मिल बन रहे, होली की बौछार।। बड़ी अनोखी रीत है, प्रेम पर्व की बात। दिखते खुशियां बांटते, भीतर रख कर घात।। मानस बिन रंग आत्मा, बे रंग सहती घात। अंतर रंग ना मिल सका, किसे कहे जज़्बात।। अंतर मिले [...]