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तुम बिन मेरे सजना!!!

तुम बिन मेरे सजना!!!

वो होली का शोर मचना,
थाप से चंग का बजना
नहीं भाता है मेरे मन को ,
तुम बिन मेरे सजना।।

सुबह सुबह वो भांग घोटना,
नाच नाच धरती पे लौटना,
रंग भरी पिचकारी छोड़ना,
नाचते गाते गुजरना,
नहीं भाता है मेरे मन को तुम बिन मेरे सजना।।

झुण्ड बनाकर फाग गाना,
घर घर जाकर रंग लगाना,
खूब अबीर गुलाल उड़ाना,
रंगोली की रचना,
नहीं भाता है मेरे मन को तुम बिन मेरे सजना!!!

रंगपात्र ले पीछे दौड़ना,
सतरंगी रंगों से रंगना,
मेरे वसन समस्त भिगोना,
आंखें चार करना,
नहीं भाता है मेरे मन को तुम बिन मेरे सजना!!!

वासन्ती फूलों का महकना,
प्रकृति में रंगों का बरसना,
तेरा गात्रलता से लिपटना,
याद करें मेरे नयना,
नहीं भाता है मेरे मन को तुम बिन मेरे सजना!!!!

महेश नारायण शर्मा
(अध्यापक)
कुरेड़ा,टोंक, राजस्थान

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