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भारत की बात कविता लेखन प्रतियोगिता संपन्न

भारत की बात कविता लेखन प्रतियोगिता संपन्न जबलपुर – प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी के संयोजन में व डॉ गुंडाल विजय कुमार संपादक भारत की बात डिजिटल समाचारपत्र के निर्देशन में लेखन को प्रोत्साहित करने हेतु कविता लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई। भारत की बात डिजिटल [...]

आया वसंतोत्सव -होली आई

आया वसंतोत्सव -होली आई समस्त वर्णों का पर्व! कर्मठ कृषकों का पर्व! पूर्णिमा यह फाल्गुन की! लाती रंग ये उल्लास की! लहलहाती फसलें हरी ! पकी बालियाॅं सुनहरी! शीत ले चला ऋतु शरद! फूला न समाया करद! मन सराबोर रंगों से! तन अबीर- गुलालों से! भुनते गेहूँ की बालें ! [...]

क्योंकि आज होली है

क्योंकि आज होली है रूठी हुई राधा वर्षो बाद श्याम से बोली है। मुझे भी प्यार का रंग लगाओ कान्हा आज होली है।। मस्ती में घूमती फिरती दीवानों की टोली है यह दुनिया नफरत, लालच और मतलब की रंगोली है इंसानियत से रिश्ते निभाओ क्योंकि आज होली है।। जिसने सत्य, [...]

रंगोत्सव दोहे

रंगोत्सव दोहे रंग बसंती निकल गया, फागुन आई धार। सारे रंग मिल बन रहे, होली की बौछार।। बड़ी अनोखी रीत है, प्रेम पर्व की बात। दिखते खुशियां बांटते, भीतर रख कर घात।। मानस बिन रंग आत्मा, बे रंग सहती घात। अंतर रंग ना मिल सका, किसे कहे जज़्बात।। अंतर मिले [...]

तुम बिन मेरे सजना!!!

तुम बिन मेरे सजना!!! वो होली का शोर मचना, थाप से चंग का बजना नहीं भाता है मेरे मन को , तुम बिन मेरे सजना।। सुबह सुबह वो भांग घोटना, नाच नाच धरती पे लौटना, रंग भरी पिचकारी छोड़ना, नाचते गाते गुजरना, नहीं भाता है मेरे मन को तुम बिन [...]

होली

होली होली लेकर आती खुशियाँ अपार उमंग , मस्ती, बसंत बहार | प्रकृति का मनमोहक नज़ारा रंग – बिरंग फूल खिले प्यारा तितली – भौरे उस पर झूमें हवा भी मदहोश होकर झूमें गेंहू – सरसों की बालियाँ इठलाती धरती की सुंदरता ललचाती | होली लेकर आती खुशियाँ अपार, उमंग, [...]

होली

होली सबके मन में प्यार की, फुहार बरसाई है। जग-जन के जीवन में, नया रंग लाई है। फागुन के होरियारों पर,आज मस्ती छाई है। रंगों का त्योहार लेकर, होली आई है।। ईर्ष्या-द्वेष को कर दो भाइयों,इस बार होली में दहन। अबीर-गुलाल प्रेम से लगाओ, सद्भावना भरा जहन। अहिंसा का जश्न [...]

प्रदूषण

प्रदूषण भू प्रदुषण देख घटा का गुस्सा फूट रहा था। फिर धीरे धीरे छोटा बादल नभ से टूट रहा था। कुछ व्योम में घूम रहे थे। कुछ धरती को चूम रहे थे। कुछ अटके थे चंद श्वास पर कुछ तुले थे सर्वनाश पर कुछ करते आंखों को लाल कुछ बनते [...]

तरकीब सीखा दे..

तरकीब सीखा दे.. ना पीछे देखने का वक्त हो, ना आगे बढ़ने की आरजू यह दुनिया जैसे चलती है ,रहना बीच इनके सिखा दे किसी के होने ना होने का एहसास ना हो बाकी जो तू चाहे ,अपने हिसाब से चला दे लोगों से पहले सोचना खुद के लिए शुरू [...]

तरकीब सीखा दे..

तरकीब सीखा दे.. ना पीछे देखने का वक्त हो, ना आगे बढ़ने की आरजू यह दुनिया जैसे चलती है ,रहना बीच इनके सिखा दे किसी के होने ना होने का एहसास ना हो बाकी जो तू चाहे ,अपने हिसाब से चला दे लोगों से पहले सोचना खुद के लिए शुरू [...]