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आलेख — शाप और वरदान

आलेख — शाप और वरदान — प्रस्तावना – शास्त्रों में वर्णित है कि- परमपिता परमात्मा द्वारा सृष्टि का सर्जन मैं एक हूँ अनेक हो जाऊँ (एकोऽम् बहुस्याम:)..ऐसे संकल्प को पूर्ण करने हेतु आदि पुरुष और प्रकृति के संयोग से इस सृष्टि रचना की गई है। समस्त धर्माचार्य प्रवचन में कहते [...]

भोर

भोर भोर हो गया उठो अब मित्र। प्रकृति का देखो सुंदर चित्र।। लालिमा है प्राची में देख। बनाती विविध रंग आरेख।। झाँकता सूरज देख ललाम। चित्र कितना सुंदर अभिराम।। उषा अभिनंदन करती रोज। पथिक सूरज में भरती ओज।। सुबह का मतलब जानो मीत। प्राणदा बहती वायु पुनीत।। धूल के कण [...]

जय माँ शारदे।

जय माँ शारदे शीश गंग तन भस्म रमाए, पहनें मुण्डों की माला। कानन में बिच्छुन के कुण्डल, गले में नाग विशाला। वाम अंग अंबिका विराजें, नन्दी की करें सवारी, कर त्रिशूल, सिर जटा-जूट, भोला अद्भुत रूप निराला।। राम नाम की जपते माला, राम हृदय में बसाए। राम नाम सुनने हेतु [...]

जय जगन्नाथ

जय जगन्नाथ जगन्नाथ हे महाप्रभु, मास द्वितीय अषाढ़। रथयात्रा जगदीश के, बढ़ते प्रेम प्रगाढ़। बढ़ते प्रेम प्रगाढ़, हरी सुजश बरनै लगे। मधुकर मधुरस काढ़, मधुर मधुर बंशी बजे। कह वैष्णव कवि राय, राधा माधो के लिए। माया नहीं सताय, जगन्नाथ रस जो पिए। लक्ष्मण वैष्णव कोरबा [...]

जीवन क्या है

जीवन क्या है जीवन विविध आयामों से देखा जाता है, विविध आयामों से परिभाषित होता है। जीवन बिंदु में सिंधु है, सिंधु में बिंदु है, जीवन एक रंग मंच है, जिसका आदि है न अंत है। जीवन नित नूतन अभिनय है, स्वर्णिम सूर्य उदय है, उषा की लाली है, प्रतिभा [...]

बरखा की बहार

बरखा की बहार बरखा की आयी बहार, बुदियाँ पड़ने लगी l पुरवा की बहती बयार, नदियाँ उमड़ने लगीं ll पशु – पक्षी हुए खुशहाल, बदरा घुमड़ने लगे l फूल खिलते चमेली गुलाब, बगिया महकने लगी ll सभी नाचे तो आई बहार, बिजुरिया तड़कने लगी l झूला डारौ अमुआ की डार, [...]

अफसाना प्यार का

अफसाना प्यार का अपनों से कैसे गिला करूं सपनों में तुझसे मिला करूं ख्वाबों में ऐसे आती हो बस एक झलक दिखलाती हो। अब क्या देखूं इस दुनिया को नैनों में तुम बस जाती हो फिर इतना प्यार जताती हो कि तुम राधा बन जाती हो । ख्वाबों में जब [...]

जीवन को वसंत करो पतझड़ से इस जीवन को तुम, आकर कंत वसंत करो। साहित्यिक संप्रेषण को अब, सदृश निराला ,पंत करो।। शब्द -शब्द माणिक कर दो तुम, भरो प्रेम की गागर तुम। गुंजित सारा जग हो जाए, वंशी तुम नटनागर तुम।। भाव सुपावन गंगाजल कर, लेखन को जीवंत करो। [...]

जगन्नाथ रथयात्रा

जगन्नाथ_रथयात्रा, अषाढ़ शुक्ल द्वितीया है पावन, पुरी में जगन्नाथ रथोत्सव,मानी प्रभु जगन्नाथ,बलभद्र,सुभद्रा, रथ में विराजित,लागत,सुमन।। दो भाईओं के बिच,बहन पूजित विश्व में अनूठा परंपरा,जगजीत आवालवृद्धबनीता के आराध्य, सुशोभित,मंजर,मनोहर,सुभद्रा।। झलक पाने उमड़े,जन,सैलाब, तिन रथों का चलना,गुल,गुलाब शंखनाद,घंटवाद,होलाहोली, ललना,लली प्रफुल्लित,आली।। ऐसा दिव्य नज़रा अविस्मरणीय भागम-भाग में दृश्य,शोभनीय, गुब्बारा,मीठा,खिलौना का ठेला कमनीय अति,विभोर [...]

बरसात

बरसात अनंत उमंग, अंनत उम्मीद, अंनत आशाएं और अनगिनत खुशियों की लेकर सौगात, लेकर नील गगन से मदमस्त सुंगध महकती, चहकती और बहकती फिर आई बरसात । रिमझिम फुहार से हर हृदय हर्षित ,खिल उठे प्रेमी मन में मधुर मिलन के अगणित ज़ज्बात , वन,बाग़, तड़ाग, उपवन, उजड़े दयार में [...]