विरह वेदना गीत
विरह वेदना गीत
वो बसती थी सांसों में मेरे,मुझसे रिश्ते यूं ही तोड़ गई।
नाच नचाकर प्रेमिल वो मेरे, दुःखड़ो में वो छोड़ गई।
मेरी आंखों की शबनम वो,मनोरम सा संजीत मेरा।
चितमन की अनुरित वो, मन से पगला मीत मेरा।
सर पैरों में मात झुकाके,तुझसे रूह को जोड़ गई।
नाच नचाकर प्रेमिल वो मेरे,दुःखड़ो में वो छोड़ गई।
सदियां साज़ समुचे तूने,कान्हा कभी हमारे है।
मन का रोना आली है सब, विरहनि पुकारे है।कुब्जा के स्नेह हे कन्हैया में वो,राधे खुशी मुख मोड़गई।नाच नचाकर प्रेमिल वो मेरे, दुःखड़ो में वो छोड़ गई।
यार हिया से माना जिसको,विजय पताका फहराई।
जो कदर ना हर्षन तिन भी, वो हैं जग में रुसवाई।
कुकर्मी काम कर जाता है जो,करनी भाग्य से जोड़ गई।
नाच नचाकर प्रेमिल वो मेरे,दुःखड़ो में वो छोड़ गई।
वो बसती थी सांसों में मेरे, मुझसे रिश्ते यूं ही तोड़ गई।
नाच नचाकर प्रेमिल वो मेरे, दुःखड़ो में वो छोड़ गई।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
पठौरिया झाॅंसी उ•प्र•