मातृत्व को नमन्
मातृत्व को नमन्
दुनिया की हर मां के उस मातृत्व को मेरा नमन् ,
जिसने सृष्टि के संचालन का भार,
अपने ऊपर वहन किया।
हर मां के उस धैर्य को मेरा नमन् ,
जिसने नौ महीने तक संतति को,
अपने उदर में जगह दे,
गर्भ पीड़ा का भार,
अपने ऊपर वहन किया।
हर मां के उस कोँख को मेरा नमन् ,
जिसने अपने रक्त से ,
बीज नवनिर्माण का भार,
अपने ऊपर वहन किया।
हर मां के पोषण के,
उस अक्षय ऊर्जा को मेरा नमन् ,
जिसने शिशु को अपने सीने से लगा,
अपने दुग्धामृत से उसकी क्षुधा तृप्ति का,
भार अपने ऊपर वहन किया।
हर मां के उस बन प्रतिभा को मेरा नमन् ,
जिसने भांति – भांति के व्यक्तित्व का निर्माण कर,
देशभक्त गढ़ने का भार,
अपने ऊपर वहन किया।
नमन् नमन् नमन् ,
मेरा शत – शत नमन् ,
दुनिया की हर मां की,
ममता, धैर्य और अदम्य साहस को,
मेरा शत – शत नमन् ,
जिसने पूरी धरा को,
अपने वात्सल्य से सींचने का भार,
अपने ऊपर वहन किया।
अर्चना आनंद
गाजीपुर, उत्तर प्रदेश, भारत