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मां का अनमोल प्यार

मां का अनमोल प्यार

मां तेरे अनमोल प्यार को,
आज समझ मैं पाई हूं ।
श्रद्धा सुमन कदमों पर तेरे,
अर्पित करने आई हूं ।।

घर के काम सभी तू करती,
चूड़ियां बजतीं थी खनखन,
भोर से पहले तू उठ जाती,
पायल बजती थी छन छन,
गोद में लेकर चक्की पीसती,
मैं प्रेम सुधा से नहाई हूं ।
मां तेरे ————————।।

बादल गरजते बिजली चमकती,
वह सीने से चिपकाना ,
आंखों में आंसुओं को छुपाना,
मेरे दर्द से कराहना ,
याद आता है रह-रहकर
बचपन,
कितना तुम्हें सताई हूं ।
मां तेरे ———————–।।

मैं हूं बाबू जी की बेटी ,
तू भी किसी की बेटी है,
हम तो चाहकते हैं चिड़ियों से ,
तू क्यों उदास बैठी है ,
तेरे कदमों में बसे स्वर्ग को,
आज देख मैं पाई हूं ।
मां तेरे ————————।।

गर्भवती हुई पहली बार मैं,
तब तेरा एहसास हुआ ,
नौ महीने कोख में संभाला,
दुखों का न आभास हुआ ,
सीने से सलमा को लगा लो ,
भले ही आज मैं पराई हूं ।
मां तेरे———————।।

डॉ सलमा जमाल
जबलपुर मध्यप्रदेश

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