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जल संकट : एक गंभीर चुनौती

जल संकट : एक गंभीर चुनौती पानी की कमी सतत विकास के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक है ,क्योंकि पानी न केवल मानवता के लिए , बल्कि कृषि उत्पादन , खाद्य सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है और हमारे पारिस्थितिक तंत्र की जीवन धारा है। फिर भी , जनसंख्या [...]

लघु कथा- “हरियाली और हम”

लघु कथा- “हरियाली और हम” “नम्रता! चलो आज सुदूर पठारों पर आच्छादित वनस्पतियों की ओर।शहर के शोर और तनावपूर्ण दिनचर्या से मन ऊब गया है।दो दिनों की छुट्टी मिली है।शहर में रहने और जीने की विवशता से हम कहां उबर पाते हैं।” सुधीर के सुझाव से नम्रता सहमत होते हुए [...]

पर्यावरण

पर्यावरण मनुष्य, प्राणी, पक्षी रो रहे हैं… कारण… धरती अस्वच्छ है… पेड़ों की संख्या घट गई है… हवा, पाणी प्रदूषित है… बड़े बड़े पेड़ काट दिए जा रहे हैं… पक्की इमारतें बांधी जा रही हैं… जिस वजह से बारिश का प्रमाण कम हो गया है… वाहनों की संख्या ज्यादा हो [...]

बहुत हो गया सूरज दादा…..

बहुत हो गया सूरज दादा….. “बहुत हो गया सूरज दादा। क्रोध नहीं दिखलाओ ज्यादा। अति तेज है किरण तुम्हारी। झुलस रहे हैं नर अरु नारी। “गर्मी अधिक पड़ रही भारी। दानव सी है अत्याचारी। कूलर, एसी,पंखे हारे। हवा छुपी है डर के मारे। “हाल बेहाल होता सारा। ये संसार ताप [...]

प्रकृति भी रो रही है

‘प्रकृति भी रो रही है’ पर्यावरण की इस दूषित हवा में, देखो कैसे ये प्रकृति रो रही है? देखो फैक्ट्रियों से निकलते धुँएँ से, कैसे प्रकृति ये प्रताड़ित हो रही है? अब मानव में मानवता रही नहीं, ये देखकर प्रकृति अब रो रही है। इस प्रकृति के दुश्मन हैं हम [...]

वृक्ष

वृक्ष ये वहीं वृक्ष हैं जो हमें प्राण वायु देते हैं। ये वहीं लता हैं जो हमें सत आयु देते हैं।। वृक्ष से ही मैं तुम और हम सबका जीवन। वृक्ष से ही जीव जंतु पशु खग पंख पवन।। पर वृक्षों का नाश क्यों कर रहा हूँ। अपने पंखों को [...]

पर्यावरण दिवस (5 जून)

पर्यावरण दिवस (5 जून) मस्तिष्क में चढ़ा लापरवाही का,ऐसा देखो आवरण। दोषी हैं हम प्रदूषित करते, अपना ही पर्यावरण।। पेड़-पौधे जीवन में रखते,अपना महत्व विशेष। जीने का मूलमंत्र सिखा कर, देते हमें उपदेश।। स्वयं न खाकर हमको देते, फल-फूल के उपहार। जीवन में कभी चुका न सकते,हम इनका उपकार।। जिंदगी [...]

गांव कहीं अब न सपना बने

गांव कहीं अब न सपना बने गांव अपना कहीं अब न सपना बने, घर बना लो सभी अपने ही गांव में। शहरों में कमाई बहुत हो चुकी, उम्र के इस पड़ाव पर चलो गांव में। थे बचपन की बातों में सपने बहुत, गांव छोड़ा था उनके लिए आपने। थक गए [...]

मां वीणा पाणी कविता

‘मां वीणा पाणी’ हे पद्मासना वीणावादनी ज्ञान बुद्धि प्रदायिनी मार्ग मेरा करिए प्रशस्त शीश पे धरिए वरद हस्त सुरों में अमृत घोलिए ज्ञान चक्षु खोलिए कंठ में विराजिये लेखनी निखारिए शब्द ज्ञान दीजिए अज्ञानता हर लीजिए अनवरत लेखन चले नित्य नव ज्ञान मिले नव चेतना जगाइये नित नव सृजन कराइये [...]

पर्यावरण विदोहन

पर्यावरण विदोहन रोप लो पौध को, सुख मिलेगा सदा, खिल उठेगी जमीं, दुख कटेगा सदा। आप ही आप में, सोच लेना जरा, सांस की आश में, वन खिलेगा सदा।। अपने जीवन के आधार वृक्ष हैं अपनी सांसों के आकार वृक्ष हैं। वृक्ष है तो है जीवन की है हर खुशि, [...]