विनोद कुमार मिश्र के सातवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि एवं काव्य संध्या का आयोजन
विनोद कुमार मिश्र के सातवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि एवं काव्य संध्या का आयोजन
औरंगाबाद 14/6/24
जिला मुख्यालय औरंगाबाद के सर्वोदय नगर में प्रख्यात कवि एवं लेखक विनय मामूली बुद्धि के आवास पर उनके पिता समाजसेवी विनोद कुमार मिश्र की 7 वीं पुण्यतिथि पर काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित समकालीन जवाबदेही पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, पूर्व उप प्रमुख मनीष पाठक सहित उपस्थित सभी कवियों ने दीप प्रज्वलित कर उन्हें पुष्पांजलि एवं श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम का संचालन कवि अनिल कुमार अनल ने किया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में संबोधन के क्रम में अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विनोद मिश्र जी सत्य निष्ठा के प्रतीक व्यक्ति थे। वे हमेशा लोगों को सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे।उनकी कथनी और करनी में एकरुपता थी।दूसरे सत्र में काव्य संध्या का प्रारंभ कवि नागेंद्र केसरी ने गणेश वंदना के साथ किया।अनुज बेचैन ने वर्तमान समाज में घटित घटनाओं को प्रेरित काव्य पाठ किया।तो वहीं मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने विनोद मिश्रा थे सत्य प्रेरणा के अनुयाई, कभी नहीं झुके चाहे कितनी विपदा आई काव्य पाठ किया।अधिवक्ता योगेश मिश्रा ने भगवान श्री राम को संपोषित काव्य पाठ किया।शिक्षक एवं मगही के प्रख्यात कवि डॉ हेरम्ब मिश्रा ने काव्य पाठ्य के क्रम में उन्हें श्रद्धांजलि दी और सत्यनारायण कथा पर विशिष्ट काव्य प्रस्तुति दी।जनार्दन मिश्र जलज ने चिलचिलाती धूप है लू का असर है,जाना है प्रियतम संग मुश्किल सफर है काव्य पाठ किया तो महामंत्री धनंजय जयपुरी ने पिता को समर्पित काव्य पाठ करते हुए कहा कि हे पिताश्री बिन तुम्हारे जिंदगी बेकार है,क्या करूं कैसे जीऊं सुना सब संसार है।विनय मामूली बुद्धि ने अपने पिता को समर्पित सारगर्भित काव्य पाठ किया और पिता की विशेषता का बखान किया। विनोद कुमार मिश्र के सगे संबंधी विकास कुमार मिश्रा,बंसल कुमार मिश्र,वेदांत दत्त,विमला देवी, रेणु पाठक वंदना मिश्रा,श्रीधर पाठक ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे एक कर्तव्य परायण व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे।