हिंदी की बनो शान (हरिप्रिया छंद)
हिंदी है आन बान, हिंदी की बनो शान,
हिंदी साहित्य जान,अब यह समझाना।
लिखो गीत गजल छंद, गाए सब मंद- मंद,
आये सबको पसंद, सबको बतलाना।।
कहते हैं श्री कबीर,शब्दों की बहे नीर,
हिंदी की बने मीर, ध्वज अब लहराए।
कहे देश यही बात, सजते हैं रंग सात,
हिंदी की हो बिसात, कविगण हर्षाए।।
हिंदी का रखो ध्यान, हिंदी की बनो शान,
बने सदा जग प्रधान, लगती है प्यारी।
चुनकर वो अलंकार , बुनते हैं शब्द तार ,
लिखते जब गीतकार, खिले शब्द क्यारी।।
अंग्रेजी करो दूर, हिंदी का बिछे नूर,
हिंदी हो सदा गुरूर, हिंदी जन बोली।
भारत में हो सुधार,हिंदी का हो प्रचार,
करते हैं हम पुकार, बनती हमजोली।।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा