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नववर्ष

 

आरंभ जिसका आज हुआ
कल अंत उसका होगा
नववर्ष जो आज है
कल पुरातन होगा

छल से अमृत पीने वाला
एक दिन शीश गंवाता है
गरल पीया जिसने अमृत का
स्वाद वही तो पायेगा

नवभारत का लोकतंत्र
एक दिन स्थिरता लायेगा
आर्थिक सुधार के साथ -साथ
गर भ्रष्टाचार मिटायेगा

तुष्टिकरण हथियार जब
नही कारगर होगा
यदि धर्म के नाम पर
देश उपेक्षित होगा

समान नागरिक संहिता
समरसता लायेगा
न्याय मिलेगा नारी को
घर संसार सुखी होगा

तरक्की और खुशहाली का
दावा धरा रह जाएगा
जनता को छलने वाला
कब तक शासन कर पायेगा

लघु दलों का रंग ढंग
कब तक ढुलमुल होगा
हिंसा प्रतिहिंसा से
सामाजिक न्याय न होगा

भेदरहित जीवन सुखमय
पावन घट पनघट होगा
मिटे अमंगल का षड़यंत्र
अविकल सारा जग होगा

मधुसूदन आत्मीय
मुंगेर – बिहार

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