Search for:

मोतीचूर के लड्डू

मोतीचूर के लड्डू

आज भोला की विवाह का प्रथम दिन था । आए हुए सभी परिजन खुश नजर आ रहे थे । बूढी दादी ने भोला के पिता को आवाज़ लगाई,,,, अरे किशन बेटा जरा आना तो, सभी तैयारी हो गया ? बेटा राशन कपड़े सभी खरीद लाए ।
किशन:- हां मां सिर्फ लड्डू ही खरीदना बाकी रह गया है ।
दादी बोली बेटा लड्डू बाहर से क्यों खरीदें ,मोतीचूर के लड्डू अपने घर में ही बना लेते हैं ।जाओ बेसन तेल व शक्कर ले आओ ।

पास बैठे नाना कान्हा जिज्ञासावश पूछे दादी यह मोतीचूर के लड्डू कैसा होता है ? दादी मुस्कुराते हुए उसे अपने मंगलसूत्र दिखाते बोली :- बेटा इसमें दाने लगे हैं न ऐसे ही दानों को एक साथ गूंथकर हम लड्डू बनाएंगे ।

कान्हा:- दादी इसको खाते हैं लेकिन तुम तो माला में पहनी हो
दादी उसे हलवाई के पास ले जाकर बोली :-देखो यह लोग बेसन के मोतियों जैसा छोटी-छोटी दाने बना रहे हैं ।अब इसको शक्कर की चाशनी में डुबाएंगे,फिर शीतल पानी को हाथ में छूकर इसे गोल गोल बनाएंगे इसे ही मोतीचूर के लड्डू कहते हैं ।

कान्हा (लड्डू खाकर) :- वाह ये तो मीठा है ।
दादी :- हां बेटा ऐसे ही अपने परिवार में मोतीचूर के लड्डू जैसा मिठास तब आएगा जब हम अपने मोतियों की तरह बिखरे परिवार जनों को मीठे वाणी (चासनी)से भिगोकर अपने शीतलता(पानी) पूर्ण व्यवहार के साथ एकता की सूत्र में बांधकर चलेंगे ।

प्रेरणा :- मधुर वाणी व एकता ही परिवार का आधार है।

बसंत कुमार “ऋतुराज”
अभनपुर

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required