एकाकार दो रंग अलहदा – लता और बप्पी दा
(हिंदी फिल्मी गीतों का सफर)
एकाकार दो रंग अलहदा – लता और बप्पी दा
“सुरों की लता “जो महकी तो रूह को छू गई। लता की उत्कृष्टता, सुरों की पावनता व शुद्धता , स्वरसाधना शिखरों को परिभाषित करती है । व्योम पर हस्ताक्षर करती है। वह जो कुछ करती हैं , एक तिलिस्म रच जाता है। अद्भुत आरोह -अवरोह में डूबे हुए हम हम ठगे से खड़े रह जाते हैं और वक्त ठहर जाता है।
शायद वह भी मंत्रमुग्ध हो इतनी मधुरता को स्वयं में समेटने की सुरीली कोशिश कर रहा हो।
हृदयाकाश को तृप्त करती इस पुरसुकून आवाज को सुरों में बांँधने की कोशिश बहुत सारे संगीतकारों ने की है, और एक से बढ़कर एक गीत रचे हैं।
इस स्वर का जादू हमेशा इतिहास रच गया। ये अखिल विश्व को पता है ।हम सब साक्षी हैं और खुशनसीब भी कि हमने उन पलों को जिया है ,जीते हैं और दैविक हो जाते हैं इन दिव्य सुरों में ढलकर। नखलिस्तान हरित हो जाता हैं ,महक जाता हैं, तरंगित हो जाता हैं ,आत्मिक अनुभूति से।
सामवेद से उतरा हर सुर जीवन में सुरसरिता तो लाता ही है, संवेदनशीलता को भी अनंत आकाश तक ले जाता है। इन धुनों/ ध्वनियों में गुंफित मन ध्यान मुद्रा में चला जाता है । संगीत का जादू , आवाज़ की अलौकिकता ,गीत का लालित्य ही सही अर्थो में जीवंत कर देता है हर शै को। चैतन्य कर देता है जड़ को।
अद्भुत संयोजन होता है जब नैसर्गिक, रूहानी आवाज और दिलफरेब साज का मिलन होता है। यहांँ बात कर रहे हैं एक संगीतकार सामान्यतः जाना जाता है, अपनी जोरदार, धमाकेदार संगीत शैली यानी डिस्को धुनों के लिए वस्तुत: तस्वीर का दूसरा रुख कुछ यूंँ है कि इस लाजवाब संगीतकार ने बहुत विविधता पूर्ण लुभावना और मिष्टी संगीत ही दिया है। गजलों को गूँथा है । गीतों को धुन दी है । भजनों को संँवारा है। वहीं फास्ट म्यूजिक डिस्को को शानदार बनाया कि फुट टैपिंग रिदम व कंपोजिशन पर,सारे कदम थिरके और जम के थिरके।
यह करिज्मा कैसे पैदा हुआ तो हर उस करिज्मा की तरह ,बिल्कुल वैसे ही जैसे, शुद्ध सोना अपनी चमक हर कहीं बता देता है, जता देता है।
यकीनन सोचा जा सकता हैं कि कैसे लता जी और बप्पी लहरी का कांबिनेशन हम कर सकेंगे ! लेकिन जब जहांँ दो रंग अलहदा लता और बप्पी दा एकाकर हुए और इस सम्मोहक सम्मिश्रण से सुंदर लुभावने, हृदय स्पर्शी गीत बनें।तो यह तो कमाल कांबिनेशन हुआ है और बहुत खूब हुआ है। क्यों न हम उसे अद्भुत सम्मिश्रण में खो जाए, जहांँ सुर और आवाज ऊंँचाइयों की परवाज लेते हैं। एकाकार हो एक नया जहांँ बनाते हैं। वहीं-कहीं से इस सुंदर सुरीले जहांँ में डूबकर ,हम भी कुछ मोती ढूंँढ़ लाएंँ ,जो हमारे संगीत रसिकों को, उत्कृष्टता की चाह में लालायित हृदय को तरंगित कर दे ,जागृत कर दे ,जीवंत कर दे।
बप्पी लहरी जो चार साल की उम्र में लता जी की गोद में हमें बैठे हुए दिखाई देते हैं तस्वीरों में , मानते हैं कि लता जी ने ही उनकी सफलता का पहला किस्सा रचा ,जब उन्होंने उनकी बंगाली फिल्म दादू में पहली रचना गाई और वह गीत न गाया होता तो शायद बप्पी दा प्रतियोगिता में पीछे रह जाते और सफलता की प्रथम सीढ़ी पर कदम न रख पाते ।
लता जी ने उन्हें अपने बेटे जैसा माना और बाद में उनकी धुनों पर एक से बढ़कर एक गीत गाए।
“जिंदगी अनमोल, जिंदगी की पहली जरूरत है क्या”- फिल्म जस्टिस चौधरी का यह बड़ा खूबसूरत नगमा लता जी ने किशोर जी के साथ गाया बप्पी दा की म्यूजिक में । वहीं हिम्मतवाला का “नैनों में सपना , सपनों में सजना ” सुपरहिट गीत जो हर दिल पर छाया। ” प्यार में कभी-कभी ऐसा हो जाता है”- चलते-चलते फिल्म से यह सुमधुर नगमा शैलेंद्र के साथ लता जी ने गाया । तोहफा का “अलबेला मौसम करता है स्वागतम” किशोर- लता का बड़ा हिट नगमा रहा। वही ज्योति फिल्म का एक नखरीला नगमा ” कलियों का चमन जब बनता है थोड़ा रेशम लगता है ,थोड़ा शीशा लगता है” – इसी तरह का एक और हटकर,शरारती सा ,छेड़छाड़ भरा नगमा फिल्म एहसास में लता जी ने उनकी म्यूजिक में गाया “रूठो न”
एक बड़ी लंबी फेहरिस्त है जहांँ लता जी ने एक से बढ़कर एक गाने बप्पी दा की म्यूजिक में गाए । फिल्म दिल से मिले दिल में “दूर-दूर तुम रहे ” एक बड़ा हिट सॉन्ग बना। सुराग फिल्म का बड़ा खूबसूरत , दिलकश सा नगमा ” भीगा भीगा मौसम ,जागा जागा जादू ” लता जी ने गाया, वही आंँगन की कली में “सैयां बिना घर सूना सूना” बड़ा हिट हुआ । “हल्के -हल्के आई चल के बोली निंदिया रानी ” – नाजुक सा नगमा अपने पराये फिल्म में लता जी ने गाया ।
जिंदगी के रास्तों पर हर कदम हम साथ होंगे – अरमान फिल्म में लताजी द्वारा गाया हुआ यह एक बेहतरीन मर्म स्पर्शी गीत है। आप की खातिर फिल्म में एक हिट सॉन्ग ” प्यारा एक बंगला हो ” ।
कोकिल कंठी लता जी ने गाया लहू के दो रंग का एक बहुत खूबसूरत गीत ” जिद न करो अब तो रुको, ये रात नहीं आएगी ” और बप्पी लहरी की धुन पर और एक नाजुक सा नगमा “तुम्हें कैसे कहूंँ मैं दिल की बात ” आंँगन की कली से।
बप्पी लहरी की जादुई धुनों में लता की शीरी आवाज फिल्म एग्रीमेंट के गाने में ” जाने क्यों मुझे अब ये लगे ” हृदय छूता है ।
क्लासिक गीत “आओ तुम्हें चांँद पर ले जाएंँ ” फिल्म जख्मी और ” दिल था अकेला- अकेला ” लता जी के साथ बप्पी दा का गाया हुआ फिल्म सुरक्षा का यह गीत बहुत हिट हुआ ।
वहीं फर्स्ट लव लेटर में बहुत सुरीली कंपोजिशन में लता ने ” जब से मिले नैना तुमसे मिले नैना” एक बहुत मोहक गीत गाया। आज का अर्जुन में “गोरी है कलाइयांँ ” और ” न जा रे दिल मेरा तोड़ कर ” बहुत हिट हुए। मोहब्बत फिल्म का ‘ नैना ये बरसें’ वही इंसाफ की पुकार का गीत ” इरादा करो तो पूरा करो, वादा करो तो पूरा करो,कोई भी न काम अधूरा करो ”
आप जो मेरे मीत न होते, होठों पर मेरे गीत न होते – फिल्म गीत से ।
यूँ कितने सारे बेमिसाल नगमें बप्पी दा की धुन और लता की आवाज में सज गए और हमारे दिलों में बस गए। इन दोनों की सुरीली सौगातें हमारे लिए बनी बेमिसाल तोहफा। साज और आवाज का यह मधुरम सम्मिश्रण अब आबदार है फलक पर हमारे जहन को रोशन करता हुआ।
@अनुपमा अनुश्री, भोपाल
साहित्यकार, कवयित्री, रेडियो टीवी एंकर, चिंतक, समाजसेवी।