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हिंदवी स्वराष्ट्र कार्यक्रम का आयोजन संपन्न

हिंदवी स्वराष्ट्र कार्यक्रम का आयोजन संपन्न

लखनऊ, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश द्वारा संस्थान कार्यालय कक्ष में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हिंदवी स्वराष्ट्र कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुनील वाजपेई ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉक्टर इंद्रासन सिंह इंदु ने किया।
कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया। वाणी वंदना संस्थान की महामंत्री डॉक्टर सीमा गुप्ता ने किया।
इसके बाद डॉक्टर दिनेश चंद अवस्थी, डॉक्टर उमेश वर्मा आदित्य,डॉक्टर सीमा गुप्ता, सुनील वाजपेई, सुशील चंद श्रीवास्तव, अनंत तिवारी,डॉक्टर शोभा दीक्षित भावना,चंद्रदेव दीक्षित, राम राज भारती,मीना गौतम,लीलाधर नायक,आदित्य तिवारी,पूर्णिमा वेदार श्रीवास्तव, डॉक्टर इंद्रासन सिंह इंदु आदि ने अपनी कविताओं,व्यक्तव्य, गीत, गजल, छंद एवं मुक्तकों से सबका मन मोह लिया। संछिप्त कव्यांस निम्नवत है।
डॉक्टर सीमा गुप्ता ने हिंदी के संबंध में सुनाया कि
“माथे का श्रंगार है हिंदी।
वाणी की झंकार है हिंदी।”
वरिष्ठ साहित्यकार अनंत प्रकाश तिवारी ने सुनाया कि “भाषा बिना गूंगा है देश।”
लीला धर पाठक ने हिंदी भाषा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “हिंदी हिंदुस्तान की आन बान शान है।”
मीना गौतम ने सुनाया कि “सब भाषाओं में श्रेष्ठ है हिंदी।”
राम राज भारती ने हिंदी भाषा के अमरत्व पर प्रकाश डाला कि”हिंदी एक अमर भाषा है।”
सुशील चंद श्रीवास्तव ने राष्ट्र भाषा पर श्रेष्ठ व्याख्यान दिया।
चंद्रदेव दीक्षित ने गीत सुनाया कि “अधरों की मुस्कान है हिंदी।
वंशी की शुभ तान है हिंदी।”
संजय पांडे ने हास्य व्यंग पढ़ा कि”अंग्रेजी अब सिर चढ़ बोलत,भारत देश महान में।
हिंदी बैठी विलख रही है खेत और खलिहान में।”
पूर्णिमा बेदार श्रीवास्तव ने हिंदवी के बारे में विस्तार से परिचर्चा की।
डॉक्टर उमेश वर्मा आदित्य ने सुंदर छंद पढ़े कि “तुलसी रसखान कबीर की वाणी में, प्रेम का पाठ पढ़ाती है हिंदी।।”

डॉक्टर इंद्रासन सिंह इंदु ने श्रेष्ठ कविता पढ़ी कि “एक मात्र भाषा का वितान हैं हिंदी।”
डॉक्टर शोभा दीक्षित भावना ने उत्कृष्ट मुक्तक पढ़ा कि ” हमारी ह्रदय की भाषा, हमारी जान है हिंदी। ”
डॉक्टर दिनेश चंद अवस्थी ने हिंदी साहित्य के परिप्रेक्ष्य में बताया कि हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए जो भी संस्थान है उनमें रिक्त पद भरे जाए जिससे और हिंदी के प्रचार प्रसार में और सक्रियता आए। उन्होंने कई उत्तम दोहे भी पढ़ें।
अंत में अध्यक्ष सुनील वाजपेई ने कार्यक्रम पर उद्बोधन के पश्चात काव्य पाठ भी किया।
धन्यवाद ज्ञापन पूर्णिमा बेदार श्रीवास्तव ने किया।
श्रोताओं द्वारा करतल ध्वनि से सभी कवियों/वक्ताओं का मनोबल बढ़ाया। कार्यक्रम की सर्वत्र सराहना की गई।

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