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(भजन भाव गीत-) संकट मोचन बाला जी —

(भजन भाव गीत-)
संकट मोचन बाला जी —

आओ मिलकर गाए सारे, संकट मोचन बाला जी।
मंगल भवन अमंगल हारी, मंगल दायक बाला जी।।

मुख पर अनुपम तेज विराजे, वज्र देह दानव दलते।
मंगलवार लगे अति मोहक, मुदित भक्त दर्शन करते।।
सोने जैसी कंचन काया, हाथ लिए हो सोटा जी।
मंगल भवन अमंगल हारी, मंगल दायक बाला जी।।

शंकर तुम्हीं केसरी नंदन, रुद्र ग्यारहवें त्रिपुरारी।
पिता पवन के प्यारे सुत हो, मात अंजनी बलिहारी।।
मोदक भोग लगे अति प्यारा,अर्ज लगाई बाला जी।
मंगल भवन अमंगल हारी, मंगल दायक बाला जी।।

रोम-रोम में नाम बसा है, श्वास- श्वास में रघुराई।
सीना फाड़ दिखा डाला, आँच यदि भक्ति पर आई।।
प्रेम भाव की सेवा खोले, राम द्वार का ताला जी।
मंगल भवन अमंगल हारी, मंगल दायक बाला जी।।

मनोकामना लेकर आते, भक्त सिंदूर लाल चढ़ाते।
मुहँ-माँगा वर उनको मिलता, जो जन द्वारे शीश झुकाते।।
महावीर बजरंगबली हो, सुधि लेना अब बाला जी।
मंगल भवन अमंगल हारी, मंगल दायक बाला जी।।

बाबा ‘सीमा’ द्वारे आई, चरण-शरण में अर्ज लगाई।
एक झलक को प्यासे नैना, दर्शन की उर आस लगाई।।
मन-मंदिर में आन विराजो, संकट काटो काला जी।
मंगल भवन अमंगल हारी, मंगल दायक बाला जी।।

सीमा गर्ग ‘मंजरी’
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।

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